सोमवार, 28 सितंबर 2009

ऐ दिल खुदा से बात कर

ऐ दिल खुदा से बात कर!
ऐ दिल खुदा से बात कर!!

जब शाम ही से सीने में
इक खलिश1 सी रह-रह उठे
सिर तौबा-तौबा कह उठे
ऐ दिल खुदा से बात कर,
ऐ दिल खुदा से बात कर!!

तन्हाईयां भरपूर हों
मजबूरियों की घुटन हो
सब तोड़ती-सी टूटन हो
ऐ दिल खुदा से बात कर,
ऐ दिल खुदा से बात कर!!

जब, जब यकीं उठने लगे,
जब रिश्ते अनजाने लगें,
जब अपने बेगाने लगें,
ऐ दिल खुदा से बात कर,
ऐ दिल खुदा से बात कर!!

जब भी भंवर कोई दिखे
जब हौंसले न साथ दें
और कोई भी न हाथ दे
ऐ दिल खुदा से बात कर,
ऐ दिल खुदा से बात कर!!



1 खलिश - दर्द की लहर, चुभन


इस ब्‍लॉग पर रचनाएं मौलिक एवं अन्‍यत्र राजेशा द्वारा ही प्रकाशनीय हैं। प्रेरित होने हेतु स्‍वागत है।
नकल, तोड़ मरोड़ कर प्रस्‍तुत करने की इच्‍छा होने पर आत्‍मा की आवाज सुनें।

1 टिप्पणी:

ओम आर्य ने कहा…

एक बेहतरीन रचना.......जिसमे लय और ताल दोनो है.............

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