तुमसे जब नजरें मिलती हैं
दिल धक से रह जाता है
कुछ कैसे कहूँ, चुप कैसे रहूँ
कुछ भी समझ नहीं आता है
तेरी काली-काली आंखों में
दो सागर से लहराते हैं
मेरे सब्र के बेड़े बह जाते
मेरा कारवां ही डुब जाता है
तेरी जुल्फें गहरी काली घटा
तेरा माथा चांद है पूनम का
गालों पे दमकती बिजलियों से
मेरा मन जग जग सा जाता है
अमृत के छलकते पैमाने
तेरे होंठों पे मेरी सांसें चलें
वक्त भी थम सा जाता है
तेरा जादू सिर चढ़ जाता है
जुल्फों में बसी काली रातें
भीनी भीनी सी महकती हैं
रगों में बहती तड़पन में
कुछ है जो चुप हो जाता है
बेरूखी की राहें न चलना
छलना न दिल का आईना
कभी झूठ मूठ होना न खफा
मेरा होश ही गुम हो जाता है
4 टिप्पणियां:
bahut hi sundar abhiwyakti ......badhayi
बहुत सुन्दर लिखा है आपने ..अच्छा लगा पढ़ना
बहुत अच्छी लगी पढ़कर
सुंदर भाव।
{ Treasurer-S, T }
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