मुझ पर शक की लाख वजह हैं
तुझ पर यकीं के लाख बहाने
जर्रा जर्रा तेरा जवाब है
झूठ हैं सारे सवाल सयाने
तू गढ़ता है तू बुनता है
नौ रंगों के ताने बाने
मेरा होना इक खयाल सा
दुनियाँ सारी ख्वाब बेगाने
क्यों तय करें मक्सद ए जिन्दगी
कदम कदम हैं तेरे निशाने
खुशबू, जमाल हो, इश्क, बन्दगी
कोई जुबां हो तेरे फसाने
6 टिप्पणियां:
मुझ पर शक की लाख वजह है
तुझपर यकीं के लाख बहाने !
सुन्दर भाव !
वाह !! बहुत सुन्दर रचना...सुन्दर भाव ,सुन्दर अभिव्यक्ति..
wah wah......wah wah........
शुरुआत ने ही बाँध लिया । खूबसूरत रचना । धन्यवाद ।
बहुत अच्छा
उम्दा रचना.
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