एक ही दौलत पास मेरे,
तेरे नाम ओ, तेरी यादों की
जो रस्में निभाने हम तरसे
जो नहीं किये उन वादों की
बस एक कसक सी रहती है
तुझ बिन जिए सावन भादों की
एक शिकायत खुद से है
रही कमी सदा ही इरादों की
जल भरे बादल परदेस गए
थी दिल पे घटा अवसादों की
शेष बचा बस रोना ही
ये किस्मत हम नाशादों की
1 टिप्पणी:
sundar!!!
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