गुरुवार, 1 अक्तूबर 2009

.... अच्छी बात नहीं है।

इंसान-इंसान में फर्क करना, अच्छी बात नहीं है।
इंसानियत को गर्क करना, अच्छी बात नहीं है।

देश, धर्म और समाज, सब करते हैं फसाद
स्वर्गिक बातों में, जिन्दगी नर्क करना, अच्छी बात नहीं है।

दिलों में बनीं गठाने, दुखें और लगें सताने
इन पर मुलम्मे, वर्क जड़ना, अच्छी बात नहीं है।

युद्धों से बचने को, युद्धों की तैयारी
बमों से इंसानियत जर्क करना, अच्छी बात नहीं है।

वही क्यों मुझे पसंद, उस पर मरूं सानंद
प्रेम के विषय में तर्क करना, अच्छी बात नहीं है।

‘सत्यं-शिवं-सुन्दरम’, इसमें मनाओ आनन्दम्
ये हैं खुदा के हर्फ, इनसे अच्छी बात नहीं है।

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