एक पिता अपनी किशोर बेटी के बेडरूम के पास से गुजरा और देखकर हैरान हुआ कि बिस्तर बड़ा साफ सुथरा और सलीके से लगा हुआ है। फिर उसने देखा कि तकिये पर एक खत रखा है, आगे बढ़कर देखा तो वह ‘‘पिता’’ को ही सम्बोधित करते हुए लिखा था। किसी अनहोनी की आशंका में पिता ने जल्दी-जल्दी वह खत खोला और हाथों में फैलाकर पढ़ने लगा:
आदरणीय पिता जी,
मुझे यह खत लिखते हुए हार्दिक अफसोस और दुख हो रहा है, पर मैं घर छोड़कर जा रही हूं। चूंकि मैं आप-मम्मी और मोहल्ले वालों के सामने किसी तरह की नौटंकी नहीं करना चाहती इसलिए मैं अपने नये ब्वायफ्रेंड जॉन के साथ घर से भागकर जा रही हूं। मैंने जॉन के साथ कुछ ही दिन जीकर जाना है कि असल जिन्दगी क्या होती है। वो मुझे बहुत अच्छा लगता है। मुझे उम्मीद है कि जब आप उससे मिलेंगे तो अपनी भुजाओं पर गुदवाये टेटूज, छिदे हुए कानों और बेढंगी सी मोटरसाईकिल पर बिना स्लीव वाली शार्ट टीशर्ट में दिखने के बावजूद वो आपको पसंद आयेगा। यह मेरा जुनून ही नहीं मेरी मर्जी भी है क्योंकि मैं गर्भवती हूं और जॉन चाहता है कि हम इस बच्चे के साथ हंसी खुशी जीवन बितायें, जबकि जॉन मुझसे उम्र में काफी बड़ा है (पर आप जानते ही हैं, 42 साल आज की जमाने में कोई ज्यादा उम्र नहीं)। जॉन के पास सीडीज का एक बहुत बड़ा कलेक्शन है, और ये सर्दियाँ काटने के लिए जंगल में उसने काफी लकड़ियाँ इकट्ठी कर रखी हैं।
ये अलग बात है कि उसकी एक और गर्लफ्रेंड भी है पर मैं जानती हूं कि वो अपने तरीके से मेरे प्रति ही ज्यादा वफादार है। जॉन ने मुझे सिखाया है कि गांजा और अफीम वास्तव में किसी को नुक्सान नहीं पहुंचाते इसलिए वो खेतों में यही उगा रहा है जिसकी फसल वह अपने मादक द्रव्यों का नियमित सेवन करने वाले दोस्तों में बांटेगा और काफी पैसे भी कमा लेगा। इस बीच जुए में महारथ के कारण हमें खर्चे-पानी की किसी तरह तकलीफ नहीं होगी।
मैं ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि आने वाले वर्षों में एड्स का सफल इलाज निकल आये ताकि जॉन अपने स्वास्थ्य के बारे में बुरा अनुभव न करे, वह इसके इलाज के लिए पूर्णतया योग्य व्यक्ति है।
पिता जी आप चिन्ता ना करें, मैं 15 वर्ष की समझदार लड़की हूं और मुझे पता है कि मुझे अपनी देखरेख कैसे करनी है। मुझे उम्मीद है कि आप मुझे माफ कर देंगे और भविष्य में किसी दिन मैं आपसे आपके नाती सहित मिल सकूंगी।
आपकी ही प्रिय पुत्री
- सीमा
पिता के पैरों तले से जमीन खिसक गई, काँपते हाथों से जब उसने पत्र के सबसे नीचे जहां कृ.पृ.उ. (कृपया पृष्ठ उलटिये) लिखा रहता है वहाँ पढ़ा, वहाँ छोटे-छोटे अक्षरों में लिखा था -
पिता जी, उपरोक्त सभी कहानी झूठ है। मैं ऊपर वाले शर्मा अंकल के घर में अपनी सहेली पिंकी के साथ हूँ। मैं आपको यह याद दिलाना चाहती थी कि हमारे जीवन में बहुत ही घटिया और बुरी बातें हो सकती हैं... मेज की निचली दराज में पड़े स्कूल के रिपोर्ट कार्ड से भी बुरी, जिसमें मैं फेल हो गई हूँ। कृपया उस पर साईन कर दें और जब भी भला लगे मुझे तुरन्त फोन कर बुला लें।
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यह चुटकुला एक हकीकत के ज्यादा करीब है।
8 टिप्पणियां:
हा हा हा ,,,,,,,,,,,,,,
लाजवाब !
अच्छा है............ परन्तु क्या फ़ेल होने का कारण भी कोई जॉन ही नहीं है. अगर हाँ तो शेष कहानी को सच होते कितनी देर लगेगी?
बिटिया का परीक्षा में फेल होना भी कभी इतना भला लग सकता है! पिता ने अवश्य कहा होगा, है भगवान तुम्हारा लाख लाख धन्यवाद।
घुघूती बासूती
हा हा!! यह जबरदस्त तरीका रहा!!
hahahhaa.........mazedar laga.......
हा हा हा हा
वाह आनन्द आ गया पढ़कर :) :)
very funny!
बहुत सशक्त रचना। मज़ा आ गया। जी लिए जैसे वे पल।
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