गुरुवार, 5 नवंबर 2009

घास



घास आदमी के पैरों को
चलने की सहूलियत देती है

घास जानवरों का पेट भरती है।

घास से हष्ट-पुष्ट हुए जानवर खा
मांसाहारी हष्ट-पुष्ट होते हैं।

घास से
नभचर, थलचर और जलचर
सभी पलते हैं।

जहाँ भी मिट्टी होती है
अनायास उग आती है घास।

धरती के सीने में हरदम रहते हैं,
घास के बीज।

घास धरती की अभिव्यक्ति है।

जब भी परमात्मा कुछ नहीं होना चाहता
घास हो जाता है।
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2 टिप्‍पणियां:

Arshia Ali ने कहा…

घास को लेकर भी इतनी सुंदर कविता रची जा सकती है, देख कर अचछा लगा।
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परा मनोविज्ञान-अलौकिक बातों का विज्ञान।
ओबामा जी, 70 डॉलर में लादेन से निपटिए।

संजय भास्‍कर ने कहा…

bahut hi sunder

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