गुरुवार, 12 नवंबर 2009

जिन्दगी के लोन बेमियादी हैं



जुबान भीड़ के लिए फरियादी है,
आज मूड समाजवादी है।

सच का शोर मचाओ, मर जाओ,
अपने संविधान में भी आजादी है।

डॉन नहीं, हीरो नहीं, नेता नहीं, रईस नहीं,
अदालत में खड़ा ही क्यों ये फरियादी है?

कुंआरेपन को ब्याहों की नजर लगी,
खुली जेल की सजा सी शादी है।

आखिरी सांस तक चुकाते रहो,
जिन्दगी के लोन बेमियादी हैं।

परमाणु बमों से ही हल होगी,
बढ़ती समस्या, बढ़ती आबादी है।

1 टिप्पणी:

रश्मि प्रभा... ने कहा…

आखिरी सांस तक चुकाते रहो,
जिन्दगी के लोन बेमियादी हैं।
.........sahi hai

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