पेट भरे नींद आ आये, इतनी रोटी काफी
मेहनत करूं और चढ़े देह पर, उतनी बोटी काफी
लानत है इस फैशन पर, रूह नंगी कर देता है
जिसमें मेरे पैर समाएं, इतनी धोती काफी
चाँद, तारे, सूरज की किरने, रोशनी कुछ ज्यादा है
कदम-कदम जो राह दिखाये, दीप की ज्योति काफी
बेईमानी की धन-दौलत से, भ्रम न हो कामयाबी का
माथे पर जो झलकें-चमकें श्रम के मोती काफी
3 टिप्पणियां:
waah, bahut badhiyaa
लानत है इस फैशन पर, रूह नंगी कर देता है
जिसमें मेरे पैर समाएं, इतनी धोती काफी
-बहुत खूब!!
पेट भरे नींद आ आये, इतनी रोटी काफी
मेहनत करूं और चढ़े देह पर, उतनी बोटी काफी ।
हर पंक्ति दिल को छूती हुई बहुत ही भावमय प्रस्तुति
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