मंगलवार, 24 नवंबर 2009

श्रम के मोती काफी

पेट भरे नींद आ आये, इतनी रोटी काफी
मेहनत करूं और चढ़े देह पर, उतनी बोटी काफी

लानत है इस फैशन पर, रूह नंगी कर देता है
जिसमें मेरे पैर समाएं, इतनी धोती काफी

चाँद, तारे, सूरज की किरने, रोशनी कुछ ज्यादा है
कदम-कदम जो राह दिखाये, दीप की ज्योति काफी

बेईमानी की धन-दौलत से, भ्रम न हो कामयाबी का
माथे पर जो झलकें-चमकें श्रम के मोती काफी

रविवार, 22 नवंबर 2009

हकीकत के फल



काशी काबे की बातों में, ये दिल भरमायेगा तुझको
खुदा खुद ही यहाँ चला आयेगा, तू अपने दिल को मक्का कर

तस्सव्वुर तो रंग बिरंगे हैं, फल फूल जो देखे आखों ने
ये जहर भरे कि हैं अमृत, हकीकत के फल भी चक्खा कर

आठों ही पहर कड़ी मेहनत, और सोहबत नई तदबीरों की
कहाँ खर्चने नगीने सांसों के, जरा ध्यान इधर भी रक्खा कर

अश्कों की नदी दुख के सागर, ना किनारे इनके बैठा कर
जरा उतर तो इन गहराईयों में, जरा अपने इरादे पक्का कर

इक बीज में सारा जंगल छुपा, कैसे ये हुआ दुनियां को दिखा
नहीं, आम मौत मर जाना नहीं, जरा जहां को हक्का-बक्का कर
 

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सपने की हकीकत :
सपना अर्द्ध चेतन अवस्था होती है जिसमें हमारा अपने ही विचारों और अभिव्यक्तियों पर नियंत्रण नहीं होता। अपवादस्वरूप कुछ एक लोग इस बात में पारंगत होते हैं कि वो सपने में वो सब देख सकें जो वो देखना चाहते हैं। क्या आप जानते हैं कि हममें में अधिकतर लोग जीवनभर में 6 साल सपने देखते हुए बिताते हैं? अनुसंधानों से सिद्ध हो चुका है कि हम सभी अपनी एक सामान्य नींद के दौरान कम से कम दो या अधिक बार सपने देखते हैं हालांकि जागने के बाद ये हमें याद नहीं रहते। सामान्यतः जागने के 5 मिनट बाद आधे से ज्यादा सपने भुला दिये जाते हैं और जागने के 10 मिनट बाद सारे सपने भुला दिये जाते हैं।
वो लोग जो जन्म से अंधे होते हैं वो भी सपने देखते हैं। जन्मांध लोगों के सपने स्पर्श, गंध, ध्वनि और स्वाद जैसी इन्द्रियों पर आधारित होते हैं। रोमन युग में संसद में कुछ उन सपनों पर चर्चा और व्याख्या भी होती थी जिन्हें समझा जाता था कि ईश्वर ने मानवजाति के लिए दिखाया है।
उन सपनों जिन पर व्यक्ति का थोड़ा बहुत नियंत्रण होता है, सबोधगम्य सपने कहते हैं।
जागरूक रहने के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण तथ्य ये है कि हम सपनों का अभ्यास करें। हम सपनों को लिखें और सपनों की श्रंखला का रिकार्ड रखें, यह हमारे अपने बारे में बहुत ही महत्वपूर्ण है।
दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि हम उन संकेतों और उत्प्रेरकों को लिखकर रखें जो हमें सपना देखने के दौरान इस बात के ज्ञान में सहायक हों कि हम स्वप्न अवस्था में हैं। एक बार हम सबोधगम्य सपने देखना शुरू कर दें तो हम सवप्न अवस्था में काल्पनिक अनुभवों पर नियंत्रण कर सकते हैं। यह उन लोगों के लिए अतिमहत्वपूर्ण है जिन्हें बुरे सपने आते हैं। एक मजेदार तथ्य यह भी है कि नींद के दौरान हमारा शरीर अचल हो जाता है शायद इसलिए कि हम नींद में सपनों को चलते-फिरते हकीकत न करने लगें।
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मजेदार तथ्‍य :

  • यदि आप 8 वर्ष और 7 माह तक चिल्लायें तो आप इतनी ध्वनि ऊर्जा पैदा कर सकते हैं जो एक कप कॉफी बनाने के लिए पर्याप्त हो।
  • एक सूअर 30 मिनट तक संभोगावस्था में रह सकता है।
  • एक मगरमच्छ अपनी जुबान बाहर नहीं निकाल सकता।
  • यदि आप दीवार पर सर मारते हैं तो इसमें 150 कैलोरी प्रति घंटा खर्व होगी।
  • केवल आदमी और डॉल्फिन ही ऐसी प्राणी प्रजातियां  हैं जो केवल सुख के लिए संभोग करती हैं। 
  • आदमी के शरीर में सबसे मजबूत मांसपेशी है जीभ।
  • सीधे हाथ से काम करने वाले लोग, उल्टे हाथ से काम करने वाले खब्बुओं से औसतन 9 वर्ष अधिक जीते हैं। क्या आपको मालूम है - धु्रवीय भालु भी खब्बू होते हैं?
  • चींटी अपने वजन से 50 गुना अधिक वजन उठा सकती है और 30 गुना अधिक वजन खींच सकती है। चींटी नशे में होने पर हमेशा सीधे हाथ की ओर गिरती है। क्या आपको मालूम है कि नशे में होने पर आप किस और गिरते हैं?
  • मौत के मुंह में जाने से बचा एक काकरोच अपने सिर के बिना, यानि एक कॉकरोच का धड़ 9 दिन तक जिन्दा रह सकता है।
  • कुछ शेर दिन में 50 बार संभोग कर सकते हैं।
  • स्टारफिश का दिमाग नहीं होता।
  • तितलियां अपने पैरों से स्वाद का अनुभव करती हैं।
  • मच्छर भगाने वाले साधन ऑलआउट वगैरह मच्छरों के संवेदी अंगों को निष्क्रिय कर देते हैं जिससे उसे पता नहीं चलता कि आप कहां हैं?
  • दंत चिकित्सक सलाह देते हैं कि आप अपने टूथब्रध को कमोड से कम से कम 6 फिट दूर रखें।
  • एक जवान नारियल में भरा पानी ब्लड प्लाज्मा के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • किसी भी कागज के टुकड़े को (अपने आकार से आधा करते हुए ) 7 बार से ज्यादा नहीं मोड़ा जा सकता।
  • उतने लोग वायुयान दुर्घटनाओं में नहीं मरते जितने गधों द्वारा मार दिये जाने से।
  • आप टीवी देखकर उतनी कैलोरी खर्च नहीं करते, जितनी सो कर।
  • तस्मों के किनारे पर लगी चीज एग्लेट्स कहाती है।
  • वॉल्ट डिज्नी चूहों से डरते थे।
  • यदि आप 6 वर्ष 9 माह तक लगातार अपानवायु नि‍ष्‍कासन में सक्षम हों तो इतनी गैस पैदा हो सकती है जो एक एटम बम जितना ऊर्जा पैदा कर सके।
  • मोती सिरके में पिघल घुल जाते हैं।

गुरुवार, 19 नवंबर 2009

तुम कहाँ हो ?



यूं तो मुझको कोई गम न था, क्यों याद तुम्हारी आती रही
कोई आग सी दिल में दबी-दबी, आहों की हवा सुलगाती रही

जब भी तेरा नाम सुनाई दिया, इस दुनियां की किसी महफिल में
कई दिन तक, फिर इन आंखों में, तस्वीर तेरी लहराती रही

छोड़ू ये शहर, तोड़ूं नाते, जोगी बन वन - वन फिरता रहूं
कहीं तो होगा विसाल तेरा, उम्मीद ये दिल सहलाती रही

कई बार मेरे संग हुआ ऐसा, कि सोते हुए मैं उठ बैठा
मैं तुमसे मिन्नतें करता रहा, तुम खामोश कदम चली जाती रहीं

तेरा मिलना और बिछड़ जाना, इक ख्वाब सा बनकर रह गया है
तेरे होने, न होने की जिरह, ता जिंदगी मुझे भरमाती रही

शनिवार, 14 नवंबर 2009

लोग



बहुत चमकते-बहुत खनकते, गहराई तक खोटे लोग।


मौके की ढलानों पे लुढ़कते, बेपेंदी के लोटे लोग।


दूजों को क्या समझाते हैं? खुद जो अक्ल से मोटे लोग।


गिरेबां खुद का झांक न देखें, दूजों के नोचें झोंटे लोग।


बडी-बड़ी कविताएं लिखते, दिल के छोटे-छोटे लोग।


बेफिक्र होकर हलाल करें, वेद-कुरान को घोटे लोग।

गुरुवार, 12 नवंबर 2009

जिन्दगी के लोन बेमियादी हैं



जुबान भीड़ के लिए फरियादी है,
आज मूड समाजवादी है।

सच का शोर मचाओ, मर जाओ,
अपने संविधान में भी आजादी है।

डॉन नहीं, हीरो नहीं, नेता नहीं, रईस नहीं,
अदालत में खड़ा ही क्यों ये फरियादी है?

कुंआरेपन को ब्याहों की नजर लगी,
खुली जेल की सजा सी शादी है।

आखिरी सांस तक चुकाते रहो,
जिन्दगी के लोन बेमियादी हैं।

परमाणु बमों से ही हल होगी,
बढ़ती समस्या, बढ़ती आबादी है।

सोमवार, 9 नवंबर 2009

आदमी की संभावना



कुत्ता, कुत्ते सा
अजगर, अजगर सा ही होता है

गिरगिट, गिरगिट सा
भेड़िया, भेड़िये सा ही होता है

गिद्ध गिद्ध सा
सूअर, सूअर सा ही होता

बैल, बैल सा
गधा, गधे सा ही होता है

सांप, सांप सा
केंचुआ केंचुए-सा ही होता है

फिर क्यों आदमी
कुत्ता, अजगर, गिरगिट
गिद्ध, सूअर, बैल
गधा, सांप, केंचुआ
सब कुछ हो जाता है?

क्यों नहीं रहता
आदमी, आदमी सा?

या,
आदमी वो संभावना है
जो सब कुछ हो सकता है?
आदमी से बदतर,
आदमी से बेहतर।

या,
आदमी का होना
बदतर और बेहतर
दो अतियों में झूलना है।

या,
आदमी, इस सारे प्रपंच से
होश की छलांग लगाकर
बाहर हो सकता है?
हमेशा के लि‍ए।

शनिवार, 7 नवंबर 2009

नई तरकीबें




मेरी दीवानगी की हदें, अज़ब सी चीजें ढूंढती हैं
ख़्वाबों के तहखाने में, जिन्दा उम्मीदे ढूंढती हैं

मसीहा भी तैयारी से, आते हैं इन्सानों में
मालूम उन्हें भी होता है, क्या सलीबें ढूंढती हैं


हजारों दिवालियां चली गई, पर राम नहीं लौटे
नन्हें चिरागों की रोशनियाँ, अब नई तरकीबें ढूंढती हैं


बिना ब्याहे संग रहना, और माई-बाप से तंग रहना
जाने क्या? कैसे रिश्ते? अब तहजीबें ढूंढती हैं


इस ब्‍लॉग पर रचनाएं मौलिक एवं अन्‍यत्र राजेशा द्वारा ही प्रकाशनीय हैं। प्रेरित होने हेतु स्‍वागत है।
नकल, तोड़ मरोड़ कर प्रस्‍तुत करने की इच्‍छा होने पर आत्‍मा की आवाज सुनें।


गुरुवार, 5 नवंबर 2009

घास



घास आदमी के पैरों को
चलने की सहूलियत देती है

घास जानवरों का पेट भरती है।

घास से हष्ट-पुष्ट हुए जानवर खा
मांसाहारी हष्ट-पुष्ट होते हैं।

घास से
नभचर, थलचर और जलचर
सभी पलते हैं।

जहाँ भी मिट्टी होती है
अनायास उग आती है घास।

धरती के सीने में हरदम रहते हैं,
घास के बीज।

घास धरती की अभिव्यक्ति है।

जब भी परमात्मा कुछ नहीं होना चाहता
घास हो जाता है।
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सोमवार, 2 नवंबर 2009

कुछ मिला न तुझको चाह कर।

न मन्दिर न दरगाह पर,
कुछ मिला न तुझको चाह कर।

ऐ मेरे जख्मों चुप करो
क्या मिलेगा तुमको आह कर?

अब मुझे भी चैन कैसे आये,
वे तड़पा मुझे मनाह कर।

वो मुझको अजनबी कहता है,
मेरे दिल में गहरे थाह कर।

वो नमाजें कैसे पड़ता है?
किसी मन्दिर को ढाह कर?

चाँद न जाने कहाँ गया,
रात के मुँह को स्याह कर।

इन्सान क्यों उनको कहते हो,
जो जिएं एक दूजे को तबाह कर।

ऐ दिल जल मत तू काबिल बन,
नहीं मिलता कुछ भी डाह कर।

मेरी महबूबा कहाँ खो गई,
जब लाया उसे निकाह कर।

छुरियाँ छुपा के गले लगा,
मेरा दोस्त मुझे आगाह कर।

उस रात से राख सा उड़ता हूँ,
जब लौटा यादें दाह कर।

मेरे मौला कड़ी सजा देना,
जो बचूं मैं कोई गुनाह कर।

जो अनन्त को पाना चाहता है,
तो अपने दिल को अथाह कर।

ऐ खुदा मुझे रंक या शाह कर,
पर सदी ही अपनी पनाह कर।।