मैथ्यु अर्नाल्ड की कविता
मेरे सपनों में
मेरे पास आओ
और फिर
मैं एक दिन
फिर से अच्छा हो जाऊंगा।
वो रातें उससे ज्यादा ले गई हैं,
जो मैंने उन रातों में भुगता है-
हर रोज एक आशाहीन चाह।
वैसे ही आओ
जैसे हजारों बार आये हो
एक खुशनुमा सुनहरे मौसम की तरह
और मुस्कराओ उस नई दुनियां के लिए
जो दूसरों के लिए भी उतनी भली है
जितनी मेरे लिये।
या आओ
कुछ,
कभी भी हकीकत ना होने वाली
बातों की तरह
अभी आओ, और सपनों को सच कर जाओ
मेरे होने का हिस्सा हो जाओ
मेरा माथा चूमो
और कहो
‘‘ओ मेरे प्रिय दुखी क्यों हो?’’
मेरे सपनों में
मेरे करीब आओ
और देखना
मैं फिर एक दिन
अच्छा हो जाऊंगा।
मूल कविता
Come to me in my dreams, and then
By day I shall be well again!
For so the night will more than pay
The hopeless longing of the day.
Come, as thou cam'st a thousand times,
A messenger from radiant climes,
And smile on thy new world, and be
As kind to others as to me!
Or, as thou never cam'st in sooth,
Come now, and let me dream it truth,
And part my hair, and kiss my brow,
And say, My love why sufferest thou?
Come to me in my dreams, and then
By day I shall be well again!
For so the night will more than pay
The hopeless longing of the day.
चाह
मेरे सपनों में
मेरे पास आओ
और फिर
मैं एक दिन
फिर से अच्छा हो जाऊंगा।
वो रातें उससे ज्यादा ले गई हैं,
जो मैंने उन रातों में भुगता है-
हर रोज एक आशाहीन चाह।
वैसे ही आओ
जैसे हजारों बार आये हो
एक खुशनुमा सुनहरे मौसम की तरह
और मुस्कराओ उस नई दुनियां के लिए
जो दूसरों के लिए भी उतनी भली है
जितनी मेरे लिये।
या आओ
कुछ,
कभी भी हकीकत ना होने वाली
बातों की तरह
अभी आओ, और सपनों को सच कर जाओ
मेरे होने का हिस्सा हो जाओ
मेरा माथा चूमो
और कहो
‘‘ओ मेरे प्रिय दुखी क्यों हो?’’
मेरे सपनों में
मेरे करीब आओ
और देखना
मैं फिर एक दिन
अच्छा हो जाऊंगा।
मूल कविता
Longing
by
Matthew Arnold
Come to me in my dreams, and then
By day I shall be well again!
For so the night will more than pay
The hopeless longing of the day.
Come, as thou cam'st a thousand times,
A messenger from radiant climes,
And smile on thy new world, and be
As kind to others as to me!
Or, as thou never cam'st in sooth,
Come now, and let me dream it truth,
And part my hair, and kiss my brow,
And say, My love why sufferest thou?
Come to me in my dreams, and then
By day I shall be well again!
For so the night will more than pay
The hopeless longing of the day.
11 टिप्पणियां:
अपने भावो को बहुत सुंदरता से तराश कर अमूल्य रचना का रूप दिया है.
वाह …………बहुत सुन्दर रचना …………पढवाने क ेलिये आभार्।
वाह...बेजोड़
नीरज
वैसे ही आओ
जैसे हजारों बार आये हो
एक खुशनुमा सुनहरे मौसम की तरह
और मुस्कराओ उस नई दुनियां के लिए
जो दूसरों के लिए भी उतनी भली है
जितनी मेरे लिये।
bahut sahi
उम्दा प्रस्तुति। पढ़वाने के लिए धन्यवाद।
Come, my friends. it is not too late to seek a newer world....
सुन्दर !
aabhar hai aapka ,sargarbhit anuvad ke liye ,kritagya hain us rachanakar ke liye,jisane srijit kiya itana utkrisht
kavy .shukriya ji .
चित्ताकर्षक लगी ..आपने अनुवाद किया है?अच्छा किया है...
एक आह है इस कविता में...एक तरस है..
bahut khoobsurat.
बेमिसाल रचना बेहतरीन अनुवाद ... पढवाने का आभार
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