सोमवार, 16 मई 2011

तेरी हसरतों के नाज क्या हैं?


दूसरों के सीने में, सच की तलाश बेमानी है,
देखना तो देखिये, झूठ कहने का अंदाज क्या है?

आती जाती सांस में, जिन्दगी और मौत जी
किताबों, गुरूओं से पूछ मत - और कोई राज क्या है।

सब कुछ तयशुदा नहीं होता, फुर्सत में जहा'न नहीं होता
ये तुझी को समझने हैं, तेरी हसरतों के नाज क्या हैं?

बीते कल की फिक्र क्यों?, आने वालों का जिक्र क्यूं?
बस तू इतना संभाल ले, देख ले कि आज क्या है? 

ऐय्याशियों की राह पर, बैबसी है-रोने हैं
नौकरी में रस है जो, भूल जा परवाज क्या है?

जब तक निभे साथ रह, झगड़े-टंटे बेवजह ना सह
यारी क्या बीमारी है? निभाना रीति रिवाज क्या है?

तुझे दूसरों की क्‍यों पड़ी, देख अपना गि‍रेबां हर घड़ी 
हर सांस में तैयारी रख, कि‍से पता मौत के मि‍जाज क्‍या हैं?

8 टिप्‍पणियां:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बीते कल की फिक्र क्यों?, आने वालों का जिक्र क्यूं?
बस तू इतना संभाल ले, देख ले कि आज क्या है?
बस हम ये नही कर पाते और संताप में रहते हैं ... लाजवाब लिखा है ...

Sunil Kumar ने कहा…

दूसरों के सीने में, सच की तलाश बेमानी है,
देखना तो देखिये, झूठ कहने का अंदाज क्या है?
गज़ल का मतला इतना खुबसूरत है फिर पूरी गज़ल का क्या कहना और हमने कहा बहुत खूब ...

Udan Tashtari ने कहा…

वाह!! बहुत खूब!!!

वीना श्रीवास्तव ने कहा…

बीते कल की फिक्र क्यों?, आने वालों का जिक्र क्यूं?
बस तू इतना संभाल ले, देख ले कि आज क्या है?

क्या बात कही है ..वैसे भी आज में ही जीना चाहिए...

Sushil Bakliwal ने कहा…

चुनिन्दा गजलों के रुप में शानदार जीवन दर्शन की इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिये बधाईयां...

मनोज कुमार ने कहा…

बेहतरीन।

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

वाह बहुत सुंदर

pragya ने कहा…

वाह, बहुत ख़ूब....हरेक पंक्ति कुछ सिखाती सी प्रतीत होती है, हर पंक्ति के अन्दर जान है....बहुत ही बढ़िया!!

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