हेरोल्ड पिन्टर
मत देखो
दुनिया टूट जाने को ही है।
मत देखो
वो दुनियां जो रौशनी बिखेरती दरारों के साथ
चटख रही है
हमें भर रही है किसी मसाले की तरह
अपनी अंधकार भरी श्वांसनली में
यह काली और चर्बी से ठुंसी हुई दमघोंटू जगह
जहां हम मारे जायेंगे या मरेंगे
या नाचेंगे या रोयेंगे या शराब सा चहकेंगें
या चूहों सा चूंचूंआंऐंगे
अपने आरंभिक मूल्य का
पुर्ननिर्धारण करने के लिए
दुनिया टूट जाने को ही है।
मत देखो
वो दुनियां जो रौशनी बिखेरती दरारों के साथ
चटख रही है
हमें भर रही है किसी मसाले की तरह
अपनी अंधकार भरी श्वांसनली में
यह काली और चर्बी से ठुंसी हुई दमघोंटू जगह
जहां हम मारे जायेंगे या मरेंगे
या नाचेंगे या रोयेंगे या शराब सा चहकेंगें
या चूहों सा चूंचूंआंऐंगे
अपने आरंभिक मूल्य का
पुर्ननिर्धारण करने के लिए
मूल कविता
Don't look...
by
Harold Pinter
Don't look.
The world's about to break.
Don't look.
The world's about to chuck out all its light
and stuff us in the chokepit of its dark,
That black and fat suffocated place
Where we will kill or die or dance or weep
Or scream of whine or squeak like mice
To renegotiate our starting price.
2 टिप्पणियां:
शानदार्।
बहुत ख़ूब!!
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