शनिवार, 28 मई 2011

तुम से और एक अजनबी के लिए

तुम से 

... चलो हम दोनों
जरा औरों से अलग निकल लें।..

....हाँ, अब ठीक है,
अब हम एकसाथ हैं पूरी निजता में।...

...तुम उस समारोह में
नहीं जा रही हो ना।...ठीक है।

हाँ, अब आओ
और मुझ पर वो मेहरबानी करो
जो तुमने किसी पर नहीं की -
मुझे पूरी कहानी सुनाओ।

मुझसे वो सब कहो
जो तुमने अपने भाई, पति और
डॉक्‍टर से नहीं कहा।

___________________





एक अजनबी के लिए
 

पास से गुजरते
ओ अजनबी
तुम्हें नहीं मालूम मैं कितनी हसरत भरी नजरों से तुम्हें देख रहा हूँ
तुम वही पुरूष या स्त्री हो, जिसकी मुझे तलाश रही है
जो सपनों की तरह मेरे पास आते हो

यकीनन मैंने तुम्हारे साथ,
कभी कहीं एक खुशहाल जिन्दगी जी है।
तुम्हारे बारे में जो मुझे याद आता है,
वो ये है कि -
हमने साथ-साथ कई उड़ाने भरी हैं
हम एक-दूसरे के साथ बहे हैं
हम एक-दूसरे से लगाव में रहे हैं
एक दूसरे से बढ़चढ़कर हिले-मिले हैं
हम साथ ही साथ गये हैं, एक उम्र से दूसरी उम्र तक,
बड़े हुए हैं,
कभी लड़के की तरह कभी लड़की की तरह,
मैंने तुम्हारे साथ खाया है,
मैं तुम्हारे साथ सोया हूं
तुम्हारा जिस्म केवल तुम्हारा ही नहीं रहा है
जैसे कि मेरा जिस्म केवल मेरा ही नहीं है
तुमने मुझे अपनी आंखों, चेहरे और काया से सटने दिया है
और जवाब में तुमने भी मेरी दाड़ी, छाती और हाथों के स्पर्श लिये है
मैं तुमसे बात नहीं कर रहा हैं तो भी
जब भी मैं अकेला बैठता हूं या
रातों को अकेला जागता हूं
मैं तुम्हारे बारे में सोचता हूं
मैं इंतजार में हूं,
लेकिन मुझे कोई शक नहीं है कि
मैं तुमसे फिर मिलूंगा
यह देखने के लिए कि,
मैंने तुम्हें खोया नहीं है।


 

मूल कवि‍ता


To You

by Walt Whitman

LET us twain walk aside from the rest;
Now we are together privately, do you discard ceremony,
Come! vouchsafe to me what has yet been vouchsafed to none—Tell me the whole story,
Tell me what you would not tell your brother, wife, husband, or physician. 

-------------------------------------------------------------------------------------------------

To A STRANGER
by: Walt Whitman (1819-1892)

PASSING stranger! you do not know how longingly I look upon you,

You must be he I was seeking, or she I was seeking, (it comes to me as of a dream,)
I have somewhere surely lived a life of joy with you,
All is recall'd as we flit by each other, fluid, affectionate, chaste, matured,
You grew up with me, were a boy with me or a girl with me,
I ate with you and slept with you, your body has become not yours only nor left my body mine only,
You give me the pleasure of your eyes, face, flesh, as we pass, you take of my beard, breast, hands, in return,
I am not to speak to you, I am to think of you when I sit alone or wake at night alone,
I am to wait, I do not doubt I am to meet you again,
I am to see to it that I do not lose you.


 

गुरुवार, 26 मई 2011

तुमको इससे क्या?



हर ख्‍याल औ ख्‍वाब का हर आसंमा खो गया
कट जाएं मेरी सोच के पर, तुमको इससे क्या?

औरों का हाथ थामो, उन्हें रास्ता दिखाओ
मैं भूल जाऊं अपना ही घर, तुमको इससे क्या?

मेरी आंखों से बरसते रहें मोती, क्या हुआ?
कोई सीप रहे बांझ अगर, तुमको इससे क्या?

ले जायें जहां चाहें मुझे तूफानों के सफर
तुमने तो डाल लिया लंगर, तुमको इससे क्या?

जंगल में जरा छांव मिली, तुम तान सो गये
मैं भटकता रहूं इधर या उधर, तुमको इससे क्या?

सोमवार, 23 मई 2011

तुम्‍हारे बि‍ना



हर्मन हैसे






रात को
मेरा तकिया
मुझे टकटकी बांधे देखता है।
मैं खाली और अकेला हो जाता हूं,
समाधि के पत्थर की तरह।
मैंने नहीं सोचा था
तुम्हारी जुल्फों छांव में नहीं सोना
इतना कड़वाहट
भरा हो जायेगा।
मैं लेटता हूं
एक सुनसान घर में
जहां लटकता हुआ लैम्प
अंधेरा बढ़ाता है।
और फिर धीरे धीरे
मेरे हाथ
तुम्हारे हाथों को थाम लेते हैं
मेरा गर्मजोशी से भरा चेहरा
तुम्हारे चेहरे की ओर बढ़ता है
.... कोई चुम्बन
बुरी तरह झिंझोड़ देता है मुझे
और अचानक
मैं जाग जाता हूं
मेरे ईर्द गिर्द
अपने चरम की यात्रा करती
वही ठंडी ठिठुरती रात होती है
खिड़की पर ठहरा सितारा
टिमटिमा रहा है
तुम्हारी सुनहरी जुल्फें कहां गईं ?
तुम्हारा चॉंद सा चेहरा कहां गया ?
अब मैं
हर खुशी के साथ
दर्द पीता हूं
हर जाम के साथ जहर
मैं नहीं जानता था
यह इतना कड़वा होगा
अकेला होना,
अकेलापन
तुम्हारे बिना।


मूल कवि‍ता

Without You
by
Hermann Hesse

My Pillow gazes upon me at night
Empty as a gravestone;
I never thought it would be so bitter
To be alone,
Not to lie down asleep in your hair.
I lie alone in a silent house,
The hanging lamp darkened,
And gently stretch out my hands
To gather in yours,
And softly press my warm mouth
Toward you, and kiss myself, exhausted and weak-
Then suddenly I'm awake
And all around me the cold night grows still.
The star in the window shines clearly-
Where is your blond hair,
Where your sweet mouth?
Now I drink pain in every delight
And poison in every wine;
I never knew it would be so bitter
To be alone,
Alone, without you.

शनिवार, 21 मई 2011

दुनिया टूट जाने को ही है।

हेरोल्‍ड पि‍न्‍टर



मत देखो
दुनिया टूट जाने को ही है।

मत देखो
वो दुनियां जो रौशनी बिखेरती दरारों के साथ
चटख रही है
हमें भर रही है किसी मसाले की तरह
अपनी अंधकार भरी श्‍वांसनली में
यह काली और चर्बी से ठुंसी हुई दमघोंटू जगह
जहां हम मारे जायेंगे या मरेंगे
या नाचेंगे या रोयेंगे या शराब सा चहकेंगें
या चूहों सा चूंचूंआंऐंगे
अपने आरंभिक मूल्य का
पुर्ननिर्धारण करने के लिए


मूल कवि‍ता
Don't look...
by 
Harold Pinter

Don't look.
The world's about to break.

Don't look.
The world's about to chuck out all its light
and stuff us in the chokepit of its dark,
That black and fat suffocated place
Where we will kill or die or dance or weep
Or scream of whine or squeak like mice
To renegotiate our starting price. 

सोमवार, 16 मई 2011

तेरी हसरतों के नाज क्या हैं?


दूसरों के सीने में, सच की तलाश बेमानी है,
देखना तो देखिये, झूठ कहने का अंदाज क्या है?

आती जाती सांस में, जिन्दगी और मौत जी
किताबों, गुरूओं से पूछ मत - और कोई राज क्या है।

सब कुछ तयशुदा नहीं होता, फुर्सत में जहा'न नहीं होता
ये तुझी को समझने हैं, तेरी हसरतों के नाज क्या हैं?

बीते कल की फिक्र क्यों?, आने वालों का जिक्र क्यूं?
बस तू इतना संभाल ले, देख ले कि आज क्या है? 

ऐय्याशियों की राह पर, बैबसी है-रोने हैं
नौकरी में रस है जो, भूल जा परवाज क्या है?

जब तक निभे साथ रह, झगड़े-टंटे बेवजह ना सह
यारी क्या बीमारी है? निभाना रीति रिवाज क्या है?

तुझे दूसरों की क्‍यों पड़ी, देख अपना गि‍रेबां हर घड़ी 
हर सांस में तैयारी रख, कि‍से पता मौत के मि‍जाज क्‍या हैं?

बुधवार, 11 मई 2011

ठहरने और चलने के बीच

ठहरने और चलने के बीच
आक्‍टावि‍यो पाज
प्यार में 
अपनी ही पारदर्शिता से
दिनों के जाने और ठहरने की डगमगाहटें
गोलमोल दोपहर 
एक खाड़ी की तरह है
जिसमें खड़ी है शांत चट्टान सी दुनियां

सब कुछ दिख रहा है और सब का सब धुंधला है
सब कुछ निकट ही है और कुछ हाथ नहीं आता

कागज, किताबें, कलम और कांच
अपनी ही नामों की परछाईयों में थमें हैं

वक्त की धड़कने मेरे कानों में दोहराई जा रही हैं
और वही अ.बदले से रक्त के बहने के वाक्यांश

प्रकाश उदासीन दीवारों पर 
उतर उतर कर
प्रतिबिम्बों का 
भुतहा नाट्यगृह बन गया है

मैं अपने आप को किसी आंख के बीचों बीच पाता हूं
खुद को शून्य में एकटक घूरता हुआ
लम्हें बिखर गये हैं।
गतिहीन।
मैं ठहरा हूं और फिर चलता हूं।
मैं यति हूं, मैं विराम हूं।

Between going and 
staying the day wavers
by
Octavio Paz

Between going and staying the day wavers,
in love with its own transparency.
The circular afternoon is now a bay
where the world in stillness rocks.

All is visible and all elusive,
all is near and can't be touched.

Paper, book, pencil, glass,
rest in the shade of their names.

Time throbbing in my temples repeats
the same unchanging syllable of blood.

The light turns the indifferent wall
into a ghostly theater of reflections.

I find myself in the middle of an eye,
watching myself in its blank stare.

The moment scatters. Motionless,
I stay and go: I am a pause.

शनिवार, 7 मई 2011

एक बार एक बेहतरीन प्‍यार

येहूदा एमीचाई की कवि‍ता
एक बार एक बेहतरीन प्‍यार

कभी किसी महान प्यार ने
मेरी जिन्दगी को दो हिस्सों में बांट दिया
जैसे
किसी सांप को दो हिस्सों में काट दिया।
एक हिस्सा तो
उमड़ता घुमड़ता तड़पता फड़कता रहता है।

और दूजा....

.... बीतते साल
मेरी तड़पन को शांत कर गये हैं
मेरा जख्म-ए-दिल भर गये हैं
मेरी आंखों में सुकून धर गये हैं

और मैं
किसी रेगिस्तान में खड़े आदमी सा
उस साइन बोर्ड को देखता हूं
जिस पर लिखा है
”समुद्र की सतह से फलां-फलां मीटर“

उसने समुद्र नहीं देखा
पर वह जानता है कि
वह किसी पानी की सतह से
कितनी ऊपर है।

उसी तरह
मुझे चहुं ओर
तुम्हारा चेहरा याद आता है
मैं जानता हूं
तुम्हारा सामना किये गये दिन
तुम्हारे यादों के धुंधलकों से बने चेहरे से
बहुत नीचे हैं।



Once A Great Love 
by 
Yehuda Amichai

Once a great love cut my life in two.
The first part goes on twisting
at some other place like a snake cut in two.

The passing years have calmed me
and brought healing to my heart and rest to my eyes.

And I'm like someone standing in the Judean desert, looking at a sign:
"Sea Level"
He cannot see the sea, but he knows.

Thus I remember your face everywhere
at your "face Level."

गुरुवार, 5 मई 2011

अदभुत औरत

माया एंग्‍लो की कवि‍ता 

अदभुत औरत



ओ खूबसूरत औरतों
तुम्हें
मुझमें निहित रहस्यों से
आश्चर्य होगा

मैं प्यारी-सी नहीं हूं
ना ही ऐसी बनी हूं
कि किसी महिला रैम्‍प मॉडल का नाप
मुझ पर फिट बैठे
लेकिन जब मैंने उन्हें बताना शुरू किया
उन्हें लगा कि झूठ बोल रही हूँ
मैंने कहा
यह रहस्य तो
मेरी बाहों की लम्बाईयों में है
मेरे नितम्बों की पुष्टता में है
मेरी चाल की विशिष्टता में है
मेरे होंठो के दबाने में है
मैं औरत हूं
आश्चर्यजनक रूप से
अद्भुत औरत
हाँ
ये मैं ही हूं

मैं एक कमरे में टहलती हूं
जिस तरह आप सहज ही
और मैंने किसी पुरूष से
मुझे तक रहे बहुत से पुरूषों से
उन पुरूषों से
जो
मेरे आगे घुटने के बल हैं
जो मेरे आस पास
भंवरों की तरह
झुण्ड बना कर खड़े हो जाते हैं
मैंने कहा
मेरी नैनों में आग है
मेरी दंतपंक्तियों में बिजली
मेरी सीने में ज्वार-भाटा है
मेरे कदमों में आनंद है
मैं औरत हूं
आश्चर्यजनक रूप से
अद्भुत औरत
हाँ
ये मैं ही हूं

वो खुद ही चकित हैं
कि वो मुझमें क्या देखते हैं
उन्हों बहुत कोशिश की
लेकिन वो नहीं छू पाते
मेरे अन्तः रहस्य को
जब मैंने उन्हें दिखाना चाहा
वो बोले - वो अभी भी नहीं देख पा रहे
मैंने कहा
यह मेरी कमर का कटाव है
यह मेरी मुस्कान का सूर्य है
यह मेरे उभारों का उठान है
यह मेरी चाल की मनोहरता है
मैं औरत हूं
आश्चर्यजनक रूप से
अद्भुत औरत
हाँ
ये मैं ही हूं

अब आप समझ ही गये होंगे
कि क्यों मेरा सिर नहीं झुकता
क्यों नहीं मैं चीखती चिल्लाती
कूदती फॉंदती
और अपनी बात कहने के लिए
क्‍यों शोर नहीं मचाती
जब आप मुझे गुजरता देखेंगे
यह आपको गर्व से भर देगा
मैंने कहा ना
यह मेरी जूती की हील की चटख है
यह मेरी जुल्फों के गुंजल्क हैं
यह मेरी हथेलियों का लहराना है
यह मेरा खुद की देखभाल का आमंत्रण है
आश्चर्यजनक रूप से
अद्भुत औरत
हाँ
ये मैं ही हूं


मूल कवि‍ता

Phenomenal Woman 
by 
Maya Angelou

Pretty women wonder where my secret lies.
I'm not cute or built to suit a fashion model's size
But when I start to tell them,
They think I'm telling lies.
I say,
It's in the reach of my arms
The span of my hips,
The stride of my step,
The curl of my lips.
I'm a woman
Phenomenally.
Phenomenal woman,
That's me.

I walk into a room
Just as cool as you please,
And to a man,
The fellows stand or
Fall down on their knees.
Then they swarm around me,
A hive of honey bees.
I say,
It's the fire in my eyes,
And the flash of my teeth,
The swing in my waist,
And the joy in my feet.
I'm a woman
Phenomenally.
Phenomenal woman,
That's me.

Men themselves have wondered
What they see in me.
They try so much
But they can't touch
My inner mystery.
When I try to show them
They say they still can't see.
I say,
It's in the arch of my back,
The sun of my smile,
The ride of my breasts,
The grace of my style.
I'm a woman

Phenomenally.
Phenomenal woman,
That's me.

Now you understand
Just why my head's not bowed.
I don't shout or jump about
Or have to talk real loud.
When you see me passing
It ought to make you proud.
I say,
It's in the click of my heels,
The bend of my hair,
the palm of my hand,
The need of my care,
'Cause I'm a woman
Phenomenally.
Phenomenal woman,
That's me.

बुधवार, 4 मई 2011

चाह

मैथ्‍यु अर्नाल्‍ड की कवि‍ता

चाह 


मेरे सपनों में
मेरे पास आओ
और फिर
मैं एक दिन
फिर से अच्छा हो जाऊंगा।

वो रातें उससे ज्यादा ले गई हैं,
जो मैंने उन रातों में भुगता है-
हर रोज एक आशाहीन चाह।

वैसे ही आओ
जैसे हजारों बार आये हो
एक खुशनुमा सुनहरे मौसम की तरह
और मुस्कराओ उस नई दुनियां के लिए
जो दूसरों के लिए भी उतनी भली है
जितनी मेरे लिये।

या आओ
कुछ,
कभी भी हकीकत ना होने वाली
बातों की तरह
अभी आओ, और सपनों को सच कर जाओ
मेरे होने का हिस्सा हो जाओ
मेरा माथा चूमो
और कहो
‘‘ओ मेरे प्रिय दुखी क्यों हो?’’

मेरे सपनों में
मेरे करीब आओ
और देखना
मैं फिर एक दिन
अच्छा हो जाऊंगा।



मूल कवि‍ता
Longing 
by
Matthew Arnold

Come to me in my dreams, and then
By day I shall be well again!
For so the night will more than pay
The hopeless longing of the day.

Come, as thou cam'st a thousand times,
A messenger from radiant climes,
And smile on thy new world, and be
As kind to others as to me!

Or, as thou never cam'st in sooth,
Come now, and let me dream it truth,
And part my hair, and kiss my brow,
And say, My love why sufferest thou?

Come to me in my dreams, and then
By day I shall be well again!
For so the night will more than pay
The hopeless longing of the day.