सभी शार्टकट पर हैं
जिन्दगी का मक्सद समझ ना आये तो
जिन्दगी का मक्सद समझ ना आये तो
मैकाले सम्मत पढ़ाई करो
वैज्ञानिक, नेता, इंजीनियर, अभिनेता, विक्रेता बनो
बेच दो
आत्मा तक।
ये आत्मा ही तो सबसे बड़ी परेशानी है।
एक अजनबी बीवी ले आओ
अजनबी बच्चे पैदा करो
अजनबी रहो ताउम्र बहुत अपनों से
यहां तक कि अपने ही माँ बाप से
जिन्दगी का मक्सद समझ ना आये तो
शादी कर लो
एक बुलाआगो
करोड़ जिम्मेदारियां पाओगे
सारे जन्मों के मक्सद भूल जाओगे।
जिन्दगी का मक्सद समझ ना आये तो
सुख ढूंढो देह में।
सुख मिले ना मिले
सारी ऊर्जा चुक जायेगी
जो शायद जिन्दगी का मक्सद ढूंढने में काम आती।
जिन्दगी का मक्सद समझ ना आये तो
60 साल तक अंधाधुंध नौकरी करो।
जिन्दगी का मक्सद समझ ना आये तो
सैकड़ों चैनल्स वाला एलसीडी टीवी देखो
पहाड़ों, झीलों, जाग्रत ज्वालामुखियों वाले देशों के टूर करो
खुद को सांबा नृत्यों के नशे में चूर करो।
जिन्दगी का मक्सद समझ ना आये तो
ब्लागिंग करो।
ना तुम्हारा कुछ बनना बिगड़ना है टिप्पणियों से,
ना टिप्पणीकार का।
जिन्दगी का मक्सद समझ ना आये तो
समाज सेवा करो।
दान पुण्य करो!
राहू केतु शनि के मन्दिरों में
तेल, उड़द, मूंग दाल चढ़ाओ।
जिसके स्वाद से अनभिज्ञ
इथियोपिया में कई रूहें
जिस्म से अलग हो रहती हैं।
जिन्दगी का मक्सद समझ ना आये तो
कोई हिन्दू, मुसलमान, ईसाई या सिक्ख ईश्वर पकड़ लो।
पकड़ लो करोड़ों में से कोई देवता।
पीर फकीर!
मरों में विश्वास ना कर पाओ तो
जिन्दा गुरू पकड़ लो।
जिसे अन्दर ही अन्दर अपने पर अटूट विश्वास हो
कि हजारों हैं मुझे मानने वाले
मुझमें कुछ तो होगा, मैं कहीं तो पहुंचूंगा।
मगर गुरू
जिन्दगी का मक्सद समझने के
इतने शार्टकट अपनाने के बाद भी
चैन ना पाया,
तो कहां जाओगे?
लौट कर
अपने तक ही आओगे।
तो क्यों ना
वैज्ञानिक, नेता, इंजीनियर, अभिनेता, विक्रेता बनो
बेच दो
आत्मा तक।
ये आत्मा ही तो सबसे बड़ी परेशानी है।
एक अजनबी बीवी ले आओ
अजनबी बच्चे पैदा करो
अजनबी रहो ताउम्र बहुत अपनों से
यहां तक कि अपने ही माँ बाप से
जिन्दगी का मक्सद समझ ना आये तो
शादी कर लो
एक बुलाआगो
करोड़ जिम्मेदारियां पाओगे
सारे जन्मों के मक्सद भूल जाओगे।
जिन्दगी का मक्सद समझ ना आये तो
सुख ढूंढो देह में।
सुख मिले ना मिले
सारी ऊर्जा चुक जायेगी
जो शायद जिन्दगी का मक्सद ढूंढने में काम आती।
जिन्दगी का मक्सद समझ ना आये तो
60 साल तक अंधाधुंध नौकरी करो।
जिन्दगी का मक्सद समझ ना आये तो
सैकड़ों चैनल्स वाला एलसीडी टीवी देखो
पहाड़ों, झीलों, जाग्रत ज्वालामुखियों वाले देशों के टूर करो
खुद को सांबा नृत्यों के नशे में चूर करो।
जिन्दगी का मक्सद समझ ना आये तो
ब्लागिंग करो।
ना तुम्हारा कुछ बनना बिगड़ना है टिप्पणियों से,
ना टिप्पणीकार का।
जिन्दगी का मक्सद समझ ना आये तो
समाज सेवा करो।
दान पुण्य करो!
राहू केतु शनि के मन्दिरों में
तेल, उड़द, मूंग दाल चढ़ाओ।
जिसके स्वाद से अनभिज्ञ
इथियोपिया में कई रूहें
जिस्म से अलग हो रहती हैं।
जिन्दगी का मक्सद समझ ना आये तो
कोई हिन्दू, मुसलमान, ईसाई या सिक्ख ईश्वर पकड़ लो।
पकड़ लो करोड़ों में से कोई देवता।
पीर फकीर!
मरों में विश्वास ना कर पाओ तो
जिन्दा गुरू पकड़ लो।
जिसे अन्दर ही अन्दर अपने पर अटूट विश्वास हो
कि हजारों हैं मुझे मानने वाले
मुझमें कुछ तो होगा, मैं कहीं तो पहुंचूंगा।
मगर गुरू
जिन्दगी का मक्सद समझने के
इतने शार्टकट अपनाने के बाद भी
चैन ना पाया,
तो कहां जाओगे?
लौट कर
अपने तक ही आओगे।
तो क्यों ना
सबसे पहले अपने को ही समझ लो ।
शायद यही
जिन्दगी का मक्सद समझने का रास्ता भी हो
और मन्जिल भी।
नहीं?
शायद यही
जिन्दगी का मक्सद समझने का रास्ता भी हो
और मन्जिल भी।
नहीं?
3 टिप्पणियां:
aatmchintan saaree guttheyo ko suljha sakta haijee.
aur vidambana ye hai ki isee ka samay nahee kisee ke paas.
समझने की इतनी ज़िद क्यों . सब जैसा है वैसा ही रहने वाला फिर क्यों न उसे भी जीने दिया जाए व ख़ुद को भी...निरापद.
हमेशा की तरह उम्दा रचना..बधाई.
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