शनिवार, 30 जनवरी 2010

सब का सब सच्चे जैसा था


खुद ही दिल में आग लगाई
खुद नैनों की नींद उड़ाई

हम तो सबकुछ भूल गये थे
आप उन्हीं ने बात बताई

बदनाम हमें क्या करती दुनिया
खुद कालिख ले माथे लगाई

सब का सब सच्चे जैसा था
जो भी झूठा दिया दिखाई

सब मेरी ही चुनी हुई थीं
पड़ी जो कड़ियॉं मेरी कलाई

जमाने भर की जलन थी जो भी
आन मेरे जी में ही समाई

7 टिप्‍पणियां:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

हा-हा, दिल का दर्द , उम्दा रचना !

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बदनाम हमें क्या करती दुनिया
खुद कालिख ले माथे लगाई ..

दुनिया जो ऊपर से देखती है .... बस उसे ही सच मानती है .....
अच्छी रचना है .......

बेनामी ने कहा…

जमाने भर की जलन थी जो भी
आन मेरे जी में ही समाई
सुंदर

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......

vandana gupta ने कहा…

sundar prastuti.........badhayi

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

"बदनाम हमें क्या करती दुनिया"
बहुत सुंदर अभिव्यंजना हैं, यह.

Kulwant Happy ने कहा…

अद्बुत। शानदार। दिल को छू गया हर शब्द।

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