नाराज हूँ मनुष्य सेकि वो सारी प्रजाति के जंगली घरेलू समुद्री और नभचरसारे प्राणियों को खा गया हैउसकी हवस को न पचा पाने के परिणामों सेसारा वातावरण दूषित है।Behtareen !
जी... क्या कहा?कुछ नहीं...बहुत अच्छी कविता।
2 टिप्पणियां:
नाराज हूँ मनुष्य से
कि वो सारी प्रजाति के
जंगली घरेलू
समुद्री और नभचर
सारे प्राणियों को खा गया है
उसकी हवस को न पचा पाने के परिणामों से
सारा वातावरण दूषित है।
Behtareen !
जी... क्या कहा?
कुछ नहीं...
बहुत अच्छी कविता।
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