बुधवार, 30 अप्रैल 2014
उसका हर सितम बेमिसाल ऐसा,
उसका हर सितम बेमिसाल ऐसा,
मेरी हर आह पर सवाल कैसा?
अधजगी रातों के गवाह, तारों..
चांद के चेहरे पर जाल कैसा?
उसका होना, कि ज्यों खामोशी हो
ना हो आवाज, तो मलाल कैसा?
यादों और ख्वाबों का तमाशा है
मिलना कैसा? उसका विसाल कैसा?
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