एक अंधा सा कुआं, हर रौशनी से डर
क्यों डराता है, किसी सोचे से, जुदा मिलना
रात भर को सब्र की, रोशन शमा रखिये
जो चाहते हो, नूर की परचम, सुबह मिलना
अपने खयालों-फैसलों की, यही आदत सताती है
तय था कल, अब फिर कोई, शक-ओ-शुबा मिलना
तेरी ही कोशिश पर, नजर उसकी, जो करता तय
कुछ और कर, ये जानकर कि, तयशुदा मिलना
जो जायेगी ही एक दिन, दौलत वो छोड़िये
जन्नते दिखलायेगा, गरीबों की दुआ मिलना
किताबी कीड़ों को, रद्दी के सिवा क्या मिलना
किस्मत में अनपढ़ फकीरों की खुदा मिलना
क्यों डराता है, किसी सोचे से, जुदा मिलना
रात भर को सब्र की, रोशन शमा रखिये
जो चाहते हो, नूर की परचम, सुबह मिलना
अपने खयालों-फैसलों की, यही आदत सताती है
तय था कल, अब फिर कोई, शक-ओ-शुबा मिलना
तेरी ही कोशिश पर, नजर उसकी, जो करता तय
कुछ और कर, ये जानकर कि, तयशुदा मिलना
जो जायेगी ही एक दिन, दौलत वो छोड़िये
जन्नते दिखलायेगा, गरीबों की दुआ मिलना
किताबी कीड़ों को, रद्दी के सिवा क्या मिलना
किस्मत में अनपढ़ फकीरों की खुदा मिलना
17 टिप्पणियां:
किताबी कीड़ों को, रद्दी के सिवा क्या मिलना
किस्मत में अनपढ़ फकीरों की खुदा मिलना
बहुत अच्छे भाव।
तेरी ही कोशिश पर, नजर उसकी, जो करता तय
कुछ और कर, ये जानकर कि, तयशुदा मिलना
सैल जी के ब्लॉग पर आपकी टिप्पणी ने ध्यान खींचा.
अंदाजे ब्याँ जुदा सा है .
पसंद आया.
सलाम.
khbbosurat
आदरणीय राजेय शा जी
सादर सस्नेहाभिवादन !
अच्छी ग़ज़लनुमा रचना है -
किताबी कीड़ों को, रद्दी के सिवा क्या मिलना
किस्मत में अनपढ़ फकीरों की खुदा मिलना
वाह वाऽऽह ! क्या बात कही है !
♥ प्यारो न्यारो ये बसंत है ! ♥
बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
जो जायेगी ही एक दिन, दौलत वो छोड़िये
जन्नते दिखलायेगा, गरीबों की दुआ मिलना
किताबी कीड़ों को, रद्दी के सिवा क्या मिलना
किस्मत में अनपढ़ फकीरों की खुदा मिलना
बहुत सुन्दर भाव संजोए हैं…………शानदार गज़ल्।
ख़ूबसूरत....
किताबी कीड़ों को, रद्दी के सिवा क्या मिलना
किस्मत में अनपढ़ फकीरों की खुदा मिलना
Behtreen....
जो जायेगी ही एक दिन, दौलत वो छोड़िये
जन्नते दिखलायेगा, गरीबों की दुआ मिलना
किन्हें समझा रहे हैं...
आज कोई भी यह समझना नहीं चाहता...
सारी बातें बहुत अच्छी लिखी आपने...सबसे ज्यादा अंतिम की चार पंक्तियों ने किया....
प्रणाम.
सारी बातें बहुत अच्छी लिखी आपने...सबसे ज्यादा अंतिम की चार पंक्तियों ने किया....
प्रणाम.
तेरी ही कोशिश पर, नजर उसकी, जो करता तय
कुछ और कर, ये जानकर कि, तयशुदा मिलना
जो जायेगी ही एक दिन, दौलत वो छोड़िये
जन्नते दिखलायेगा, गरीबों की दुआ मिलना....
जीवन दर्शन से परिपूर्ण सुंदर रचना के लिए बधाई।
रात भर को सब्र की, रोशन शमा रखिये
जो चाहते हो, नूर की परचम, सुबह मिलना
खूबसूरत शेर !
जो जायेगी ही एक दिन, दौलत वो छोड़िये
जन्नते दिखलायेगा, गरीबों की दुआ मिलना
Bahut khoobsoorat.........
बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
किताबी कीड़ों को, रद्दी के सिवा क्या मिलना
किस्मत में अनपढ़ फकीरों की खुदा मिलना
क्या बात है.....बहुत ही बढ़िया भाव
वाह!
बहुत सुन्दर गज़ल्।
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