सोमवार, 21 फ़रवरी 2011

किस्मत में, अनपढ़ फकीरों की, खुदा मिलना


एक अंधा सा कुआं, हर रौशनी से डर
क्यों डराता है, किसी सोचे से, जुदा मिलना

रात भर को सब्र की, रोशन शमा रखिये
जो चाहते हो, नूर की परचम, सुबह मिलना

अपने खयालों-फैसलों की, यही आदत सताती है
तय था कल, अब फिर कोई, शक-ओ-शुबा मिलना

तेरी ही कोशिश पर, नजर उसकी, जो करता तय
कुछ और कर, ये जानकर कि, तयशुदा मिलना

जो जायेगी ही एक दिन, दौलत वो छोड़िये
जन्नते दिखलायेगा, गरीबों की दुआ मिलना

किताबी कीड़ों को, रद्दी के सिवा क्या मिलना
किस्मत में अनपढ़ फकीरों की खुदा मिलना

17 टिप्‍पणियां:

मनोज कुमार ने कहा…

किताबी कीड़ों को, रद्दी के सिवा क्या मिलना
किस्मत में अनपढ़ फकीरों की खुदा मिलना
बहुत अच्छे भाव।

विशाल ने कहा…

तेरी ही कोशिश पर, नजर उसकी, जो करता तय
कुछ और कर, ये जानकर कि, तयशुदा मिलना

सैल जी के ब्लॉग पर आपकी टिप्पणी ने ध्यान खींचा.
अंदाजे ब्याँ जुदा सा है .
पसंद आया.
सलाम.

सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

khbbosurat

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

आदरणीय राजेय शा जी

सादर सस्नेहाभिवादन !

अच्छी ग़ज़लनुमा रचना है -

किताबी कीड़ों को, रद्दी के सिवा क्या मिलना
किस्मत में अनपढ़ फकीरों की खुदा मिलना

वाह वाऽऽह ! क्या बात कही है !


प्यारो न्यारो ये बसंत है !
बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार

vandana gupta ने कहा…

जो जायेगी ही एक दिन, दौलत वो छोड़िये
जन्नते दिखलायेगा, गरीबों की दुआ मिलना

किताबी कीड़ों को, रद्दी के सिवा क्या मिलना
किस्मत में अनपढ़ फकीरों की खुदा मिलना

बहुत सुन्दर भाव संजोए हैं…………शानदार गज़ल्।

pragya ने कहा…

ख़ूबसूरत....

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

किताबी कीड़ों को, रद्दी के सिवा क्या मिलना
किस्मत में अनपढ़ फकीरों की खुदा मिलना
Behtreen....

Neeraj Kumar ने कहा…

जो जायेगी ही एक दिन, दौलत वो छोड़िये
जन्नते दिखलायेगा, गरीबों की दुआ मिलना

किन्हें समझा रहे हैं...
आज कोई भी यह समझना नहीं चाहता...

Rajesh Kumar 'Nachiketa' ने कहा…

सारी बातें बहुत अच्छी लिखी आपने...सबसे ज्यादा अंतिम की चार पंक्तियों ने किया....
प्रणाम.

Rajesh Kumar 'Nachiketa' ने कहा…

सारी बातें बहुत अच्छी लिखी आपने...सबसे ज्यादा अंतिम की चार पंक्तियों ने किया....
प्रणाम.

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

तेरी ही कोशिश पर, नजर उसकी, जो करता तय
कुछ और कर, ये जानकर कि, तयशुदा मिलना
जो जायेगी ही एक दिन, दौलत वो छोड़िये
जन्नते दिखलायेगा, गरीबों की दुआ मिलना....

जीवन दर्शन से परिपूर्ण सुंदर रचना के लिए बधाई।

ज्ञानचंद मर्मज्ञ ने कहा…

रात भर को सब्र की, रोशन शमा रखिये
जो चाहते हो, नूर की परचम, सुबह मिलना
खूबसूरत शेर !

संध्या शर्मा ने कहा…

जो जायेगी ही एक दिन, दौलत वो छोड़िये
जन्नते दिखलायेगा, गरीबों की दुआ मिलना
Bahut khoobsoorat.........

Dr Varsha Singh ने कहा…

बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।

rashmi ravija ने कहा…

किताबी कीड़ों को, रद्दी के सिवा क्या मिलना
किस्मत में अनपढ़ फकीरों की खुदा मिलना

क्या बात है.....बहुत ही बढ़िया भाव

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

वाह!

शिवा ने कहा…

बहुत सुन्दर गज़ल्।

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