दीवारें-पर्दे-धागे, मंच-दर्शक पराये
कठपुतलियों की खुदाई का क्या है
कठपुतलियों की खुदाई का क्या है
कर दिखाने-मर दिखाने में, गुंजाइश है
वरना केंचुओं की लड़ाई का क्या है
मुझमें ही कुछ तूफान उठें हैं
जालिम तेरी अंगड़ाई का क्या है
अपनी ही नस चढ़ जाये तो दर्द है
लाख हो पीड़ पराई का क्या है
राधा ही कृष्ण थी, कृष्ण ही राधा थे
मीरा-रूक्मिणी की बड़ाई का क्या है
स्वाद तो है कुछ बनाने वाले में
शकर-पतीला-कढ़ाई का क्या है
अजनबी-परायों से रिश्तों में खींच है
जाने-पहचानों से लड़ाई का क्या है
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दृष्टिकोण
मैने अपने मनोचिकित्सक से कहा कि पता नहीं क्यों सब मुझसे नफरत करते हैं तो वो बोला - मैं उन लोगों से तो नहीं मिला पर तुम वाकई बहुत बेहूदा आदमी हो।
स्त्री होने के कई फायदे हैं वो रो सकती है, सुन्दर कपड़े पहन सकती है और किसी जगह डूब रही हो तो उसे ही लोग पहले बचाते हैं।
स्त्री शब्द के दोनों अर्थ एक समान है वो गर्म होती है, दबाती है और सलवटें निकाल कर अपने हिसाब से सल डाल देती है।
अगर प्यार अंधा होता है तो अंतःवस्त्र इतने प्रसिद्ध, प्रचलन और मांग में क्यों रहते हैं।
अगर आप बहुत आरामतलब हो गये हैं तो निश्चित ही आपको जंग भी लग गया होगा।
उस व्यक्ति की जिन्दगी भयावह और दुर्भाग्यपूर्ण है जिसका जीवन बहुत ही सामान्य बीता।
यदि आप आत्मविश्वास से भरे दिख रहे हैं तो कोई भी आपका फायदा उठा सकता है क्योंकि आपको खुद को ही पता नहीं होता कि आप क्या कर रहे हैं।
उन सब चीजों में से जिन्हें मैने खोया, मैं अपने दिमाग की कमी सबसे ज्यादा महसूस करता हूं।
- मार्क ट्वेन
बुरी याददाश्त, खुशियों की चाबी है, क्योंकि आप एक ही चुटकुले पर कई बार हंस सकते हैं।
कुछ लोग कहीं जाने पर खुश होते हैं और कुछ लोगों के कहीं भी जाने पर सब खुश होते हैं।
दृढ़ता और हठ में ये अन्तर है कि दृढ़ता मजबूत इरादे से आती है और हठ सिरे से किसी चीज को नकारने से।
पोषक आहार का पहला नियम है जो स्वादिष्ट है वो आपके लिए अच्छी चीज नहीं है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि महत्वपूर्ण चीज को कैसे महत्वपूर्ण रखा जाये।
- जर्मन कहावत
अतीत उस नाव की तरह है जिससे हम वर्तमान की नदी पार करें ना कि अतीत की नाव को सिर पर उठाकर नदी पार करें।
- राजेशा
आदमी के साथ खुश रहना है तो जरूरी है कि उसे आप समझें और थोड़ा बहुत प्यार दें पर अगर औरत के साथ खुश रहना है तो जरूरी है कि आप उसे ढेर सारा प्यार दें और भूल के भी उसे समझने की कोशिश ना करें।
मैंने खेलना नहीं छोड़ा क्योंकि मैं उम्रदराज हो रहा हूं, मैं उम्रदराज हो रहा हूं क्योंकि मैंने खेलना छोड़ दिया है।
अगर सब एक जैसा ही सोच रहे हैं तो मानिये कोई भी सोचने के मामले में गंभीर और अच्छी तरह नहीं सोच रहा है।
आप एक ही बार जवान होते हैं पर हो सकता है आप हमेशा अपरिपक्व रहें।
4 टिप्पणियां:
अच्छी प्रस्तुति। बधाई।
achha hai
badhiya hai sirji
mast ek dam...
kavita bhi..
aur baad wali baate bhi...
kunwar ji,
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