चाहे खूब छिपाकर रखिये
दिल में आग जलाकर रखिये
खुद से दुश्मनी मंहगी पड़ेगी
खुद को दोस्त बनाकर रखिये
इच्छाओं का जोर बहुत है
अपनी जान बचाकर रखिये
उससे सहमत होना मुश्किल
अपना ईमान बचाकर रखिये
रोना धोना बहुत है जग में
मन मुस्कान सजाकर रखिये
झूठ के बाजारों में ना खोना
सच से सदा निभाकर रखिये
9 टिप्पणियां:
बेहतरीन !
रोना धोना बहुत है जग में
मन मुस्कान सजाकर रखिये
झूठ के बाजारों में ना खोना
सच से सदा निभाकर रखिये
अब कहना क्या रह गया है लाजवाब गज़ल है । बहुत बहुत बधाई शुभकामनायें
atirkt sundar!!!
चाहे खूब छिपाकर रखिये....
खुद से दुश्मनी.......
इच्छाओं का जोर बहुत है....
उससे सहमत होना मुश्किल....
रोना धोना बहुत है जग में....
झूठ के बाजारों में ना खोना
सच से सदा निभाकर रखिये.....
आपके कलाम में एक खास बात ये लगी
कि सभी शेर एक दूसरे के पूरक बने हुए हैं
बधाई स्वीकार करें
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
बहुत अच्छी रचना।
बहुत अच्छी ग़ज़ल।
bahut sundar .
रोना धोना बहुत है जग में
मन मुस्कान सजाकर रखिये
झूठ के बाजारों में ना खोना
सच से सदा निभाकर रखिये ....
बहुत अच्छे शेर हैं सब के सब .......... लाजवाब .......
रोना धोना बहुत है जग में
मन मुस्कान सजाकर रखिये
yah baat har koi samjh le to baat hi kya hai!
bahut khoob gazal kahi hai.abhaar
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