मिलेगा जो चाहेगा खुदा, सब्र रख
दुआएं अमल में ला, सब्र रख
किसे मिला है ज्यादा उसके रसूख से?
खुदा पे यकीन ला, सब्र रख
सिकन्दर भी गए हैं, पैगम्बर भी गए हैं
वक्त की शै से धोखा न खा, सब्र रख
छोटी-छोटी बातों के क्या शिकवे गिले
खुदा बन, जो चाहता है खुदा, सब्र रख
नाकामियों उदासियों के सागर कितने गहरे?
तरकीब-ए-सुराख आजमा, सब्र रख
कहाँ नहीं मिलती मोहब्बत “अजनबी”
कुर्बानियाँ बढ़ा, दीवानगी बढ़ा, सब्र रख
5 टिप्पणियां:
मिलेगा जो चाहेगा खुदा, सब्र रख
दुआएं अमल में ला, सब्र रख
किसे मिला है ज्यादा उसके रसूख से?
खुदा पे यकीन ला, सब्र रख
bahut sunder panktiyan........
behtareen kavita.........
सिकन्दर भी गए हैं, पैगम्बर भी गए हैं
वक्त की शै से धोखा न खा, सब्र रख
.......वाह, सही सन्देश !
कहाँ नहीं मिलती मोहब्बत “अजनबी”
कुर्बानियाँ बढ़ा, दीवानगी बढ़ा, सब्र रख...
सब्र ही तो नही है किसी के पास अब ........ सुंदर लिखा है ........
मिलेगा जो चाहेगा खुदा, सब्र रख
दुआएं अमल में ला, सब्र रख
बहोत ख़ुब....वाह!!!
अगर आपकी ये पोस्ट आप मुझे sikkim@radiomisty.co.in पर अपने नाम के साथ भेज सको तो अपने कार्य क्रम में आपके नाम के साथ पढ़ सकूंगा मेरे रविवार के रेडियो शोए मिष्टी महफ़िल मैं !!!
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