सांसों की ही फिक्र की और बिक गई सब जिन्दगी
सांसे थीं या थी बला, क्या फैसला करते?
उलझे-क्या करें, ना करें? हमेशा अंजामों से डरे,
मौत तक बस यही चला, क्या फैसला करते?
शराफतें पाले सीने में, बस घिरे रहे कमीनों में
आस्तीनों में विष पला, क्या फैसला करते?
दूसरों को क्यों दोष दें, गर हिम्मत ना अपना होश दे
अपनी ही हसरतों ने छला, क्या फैसला करते?
डर बसा रोम-रोम में, ध्यान हर घड़ी था विलोम में
धड़कनें थीं कि जलजला, क्या फैसला करते?
हर बार धोखा, हर बार गम, हर बार इक संगदिल सनम
अपने दिल बस ना चला, क्या फैसला करते?
सांसे थीं या थी बला, क्या फैसला करते?
उलझे-क्या करें, ना करें? हमेशा अंजामों से डरे,
मौत तक बस यही चला, क्या फैसला करते?
शराफतें पाले सीने में, बस घिरे रहे कमीनों में
आस्तीनों में विष पला, क्या फैसला करते?
दूसरों को क्यों दोष दें, गर हिम्मत ना अपना होश दे
अपनी ही हसरतों ने छला, क्या फैसला करते?
डर बसा रोम-रोम में, ध्यान हर घड़ी था विलोम में
धड़कनें थीं कि जलजला, क्या फैसला करते?
हर बार धोखा, हर बार गम, हर बार इक संगदिल सनम
अपने दिल बस ना चला, क्या फैसला करते?
12 टिप्पणियां:
कमाल की रचना है आपकी। पहली बार आना हुआ आपके ब्लाग पर। परन्तु आना सफल हुआ। आभार।
prabhawshali rachna
दूसरों को क्यों दोष दें, गर हिम्मत ना अपना होश दे
अपनी ही हसरतों ने छला, क्या फैसला करते?
वाह...वाह...वाह...लाजवाब रचना...आप बहुत उम्दा लिखते हैं...बधाई स्वीकारें.
नीरज
लाजवाब रचना......सशक्त विचारो को लिए .......
ek prabhavshali rachna.......:)
हर बार धोखा, हर बार गम, हर बार इक संगदिल सनम
अपने दिल बस ना चला, क्या फैसला करते?
वाह..वाह...बहुत खूब
बहुत ही सुन्दर लिखा है
आज पहली बार आये ... अब आते रहेंगे
आभार
बहुत सुंदर और सार्थक
सांसों की ही फिक्र की और बिक गई सब जिन्दगी
सांसे थीं या थी बला, क्या फैसला करते?
लाजवाब रचना.....बहुत सुंदर और सार्थक
वसन्त की आप को हार्दिक शुभकामनायें !
इसी का नाम असल जिन्दगी है जहाँ हम हर तरह के फैसलें लेते हैं और उन्हें जीते भी हैं पर फिर भी लगता है की काश .........हमने ये फ़ेसला कुछ इस तरह लिया होता !
खुबसूरत रचना !
उलझे-क्या करें, ना करें? हमेशा अंजामों से डरे,
मौत तक बस यही चला, क्या फैसला करते?
बहुत दिन बाद देखा आपका ब्लाग। बहुत अच्छी रचना। बसंतोत्सव की आपको भी बधाई।
वाह ! अद्भुत रचना ।
एक एक शब्द दिल मेँ उतर गया ।
लाजबाव प्रस्तुति । बधाई !
" देखे थे जो मैँने ख्याब.........गजल "
एक टिप्पणी भेजें