फिजूल है
आदमी की औसत उम्र की बात
एक आदमी
बस 10 बरस में
बचपने की बेहोशी
भूख प्यास और खंडित कयासों से
दम तोड़ देता है
दूजा जीता है
बीमारियों
धुंधलकों
प्रश्नों,
और जिन्दगी की व्यर्थता के साथ
130 बरस
और आप
तीजे की औसत उम्र 70 बरस
घोषित कर देते हैं
तो फिजूल है
औसत उम्र का गणित
और वो सारे गणित
जो आप जिन्दगी के बारे में लगाते हैं
जिन्दगी का हर कदम
अपवादों की राह पर बढ़ता है
आपकी सांसे सदियों तक चल सकती हैं
आप इसी वक्त ‘सब कुछ से’ नाकुछ हो सकते हैं
और नाकुछ से सारा संसार
जिन्दगी के खेल का
यही मजा है
कि आप चाहें इसके नियम बनायें
चाहें अपवादों की राह चलें
आपका हासिल परिणाम नहीं
वो खेलना होता है,
जो आप खेल रहे हैं
जो आप तब तक खेल सकते हैं
जब तक कि वो क्षण नहीं आता
जिसका आपको नहीं पता है।
देखो आज मैंने
मौत शब्द का
कहीं भी इस्तेमाल नहीं किया।
आदमी की औसत उम्र की बात
एक आदमी
बस 10 बरस में
बचपने की बेहोशी
भूख प्यास और खंडित कयासों से
दम तोड़ देता है
दूजा जीता है
बीमारियों
धुंधलकों
प्रश्नों,
और जिन्दगी की व्यर्थता के साथ
130 बरस
और आप
तीजे की औसत उम्र 70 बरस
घोषित कर देते हैं
तो फिजूल है
औसत उम्र का गणित
और वो सारे गणित
जो आप जिन्दगी के बारे में लगाते हैं
जिन्दगी का हर कदम
अपवादों की राह पर बढ़ता है
आपकी सांसे सदियों तक चल सकती हैं
आप इसी वक्त ‘सब कुछ से’ नाकुछ हो सकते हैं
और नाकुछ से सारा संसार
जिन्दगी के खेल का
यही मजा है
कि आप चाहें इसके नियम बनायें
चाहें अपवादों की राह चलें
आपका हासिल परिणाम नहीं
वो खेलना होता है,
जो आप खेल रहे हैं
जो आप तब तक खेल सकते हैं
जब तक कि वो क्षण नहीं आता
जिसका आपको नहीं पता है।
देखो आज मैंने
मौत शब्द का
कहीं भी इस्तेमाल नहीं किया।
8 टिप्पणियां:
बहुत बढ़िया ।
बहुत सुंदर भाव युक्त
रचना है...बहुत बहुत बधाई...
लेकिन आखिर मे तो कर ही दिया।
bahut gahree aur sacchee baat..............
sarahneey prastuti !
आपकी सांसे सदियों तक चल सकती हैं
आप इसी वक्त ‘सब कुछ से’ नाकुछ हो सकते हैं
और नाकुछ से सारा संसार
kadwa satya
.
बहुत खूब .. न करते हुवे भी मौत शब्द का इस्तेमाल हो ही गया ....
पर बहुत गहरी बात भी कह दी साथ साथ ...
सही बात है ...तीसरे की उम्र का गणित ग़लत ही है क्योंकि या तो 140 को 3 से भाग देना चाहिये (अगर तीसरा अभी-अभी ही पैदा हुआ हो तो) या फिर 140 में तीसरे की उम्र भी जोड़ कर 3 से भाग देना चाहिये ताकि सही औसत निकाली जा सके :-))
बढ़िया कविता है ।
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