Image by : Kees Straver |
ख्यालों से छंटी दुनियां, कैसे-कैसे बंटी दुनिया
आशाओं-सपनों में उलझी, हकीकत से कटी दुनिया
रिवाजों में सहूलियत है, नयेपन से हटी दुनियां
इतिहास में भविष्य देखे, बड़ी अटपटी दुनियां
स्वाद कैसा होता है अम्मी-अब्बा से जाना
जुबां जब बूढ़ी हुई तो, लगी चटपटी दुनियां
सच-शांति की राहों से बोर हो हटी दुनियां
झूठ और फरेबों के संग्रामों में डटी दुनियां
जिन्दगी के मैदानों में दूर तलक भागी है
डरी-सहमी रहे फिर भी, मौत से सटी दुनियां
आशाओं-सपनों में उलझी, हकीकत से कटी दुनिया
रिवाजों में सहूलियत है, नयेपन से हटी दुनियां
इतिहास में भविष्य देखे, बड़ी अटपटी दुनियां
स्वाद कैसा होता है अम्मी-अब्बा से जाना
जुबां जब बूढ़ी हुई तो, लगी चटपटी दुनियां
सच-शांति की राहों से बोर हो हटी दुनियां
झूठ और फरेबों के संग्रामों में डटी दुनियां
जिन्दगी के मैदानों में दूर तलक भागी है
डरी-सहमी रहे फिर भी, मौत से सटी दुनियां
3 टिप्पणियां:
हिस्सों में बँटी दुनिया, चिन्दों में फटीं दुनिया,
गलती फिर भी न माने, है बड़ी हठी दुनिया ..
उम्दा पेशकश
जिन्दगी के मैदानों में दूर तलक भागी है
डरी-सहमी रहे फिर भी,मौत से सटी दुनियां
बहुत ही अच्छी रचना, बधाई
http://veenakesur.blogspot.com
जिन्दगी के मैदानों में दूर तलक भागी है
डरी-सहमी रहे फिर भी, मौत से सटी दुनियां
बहुत खूब ... सच कहा है .. लाजवाब शेर ...
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