मैने किस-किस के लिए, क्या-कया तोहफे रखे थे
कोई आया ही नहीं मेरे पास, आहटों के सिवा।
गया जमाना कि इन्सान को भी पढ़ा जाता था
अब तो बस लोग, सब पढ़ते हैं, लिखावटों के सिवा।
याद कुछ रहता नहीं, अपनी ही खबर किसको?
पुराने लोग थे कुछ और, बनावटों के सिवा।
मैं उससे बात तो करूंगा, पर क्या वो समझेगा?
मेरा खजाना है कुछ और, दिखावटों के सिवा।
पुल, नाव, तिनकों, दुआओं को सहारा बनाया
उसने ही पाया कुछ अलग, रूकावटों के सिवा।
बहुत थीं खूबियाँ, तो भी क्यों नाकाम रहा?
सब कुछ आता था उसे, सजावटों के सिवा।
कोई आया ही नहीं मेरे पास, आहटों के सिवा।
गया जमाना कि इन्सान को भी पढ़ा जाता था
अब तो बस लोग, सब पढ़ते हैं, लिखावटों के सिवा।
याद कुछ रहता नहीं, अपनी ही खबर किसको?
पुराने लोग थे कुछ और, बनावटों के सिवा।
मैं उससे बात तो करूंगा, पर क्या वो समझेगा?
मेरा खजाना है कुछ और, दिखावटों के सिवा।
पुल, नाव, तिनकों, दुआओं को सहारा बनाया
उसने ही पाया कुछ अलग, रूकावटों के सिवा।
बहुत थीं खूबियाँ, तो भी क्यों नाकाम रहा?
सब कुछ आता था उसे, सजावटों के सिवा।
10 टिप्पणियां:
याद कुछ रहता नहीं, अपनी ही खबर किसको?
पुराने लोग थे कुछ और, बनावटों के सिवा ...
सच कहा आज तो सब बनावटी हो गये हैं ......... पुराने लोगों में कुछ तो बात थी .........
मैं उससे बात तो करूंगा, पर क्या वो समझेगा?
मेरा खजाना है कुछ और, दिखावटों के सिवा।
.......sach hai.ab to sabkuch banawti hai
सही खाका आज की जिंदगी का
खूब ! बहुत खूब !!
एक रदीफ़ रह रही है सजावटों के सिवा
प्रीतीश जी की प्रेरणा से -
बहुत थीं खूबियाँ, तो भी क्यों नाकाम रहा?
सब कुछ आता था उसे, सजावटों के सिवा।
गया जमाना कि इन्सान को भी पढ़ा जाता था
अब तो बस लोग, सब पढ़ते हैं, लिखावटों के सिवा।
बहुत खूब।
बहुत सुन्दर !
लोग कहते है यहाँ हर चीज विशुद्ध मिलती थी !
हमें तो कुछ मिला ही नहीं मिलावटों के सिवा !!
गोदियाल जी की कोशिश में कोई मिलावट नहीं, शुद्ध है।
मैने किस-किस के लिए, क्या-कया तोहफे रखे थे
कोई आया ही नहीं मेरे पास, आहटों के सिवा।
bahut hi sundar bhav.
बहुत ही सुन्दर ब्लॉग है और achchhi रचनाओं का प्रस्तुतीकरण करीने से किया है... आकर अच्छा लगा....
एक टिप्पणी भेजें