लोगो ये कहर मत बरपाओ,
बेटियाँ कोख में ही मत मिटाओ
ये सदा ही माँ बाप के घर की खैर माँगती हैं,
बेटे तो जायदाद-जमीनें, बेटियाँ दुखों को बँटाती हैं
मशीनों से टुकड़े-टुकड़े कर के फेंक देना
कली को खिलने से पहले ही मसल देना
ये कैसा दस्तूर है ऐ लोगो
कुछ तो समझो कुछ तो सोचो
कभी बेचारी गौएं कभी चिड़िया कहाती हैं
बेटे तो जायदाद-जमीनें, बेटियाँ दुखों को बँटाती हैं
बिन बिटियों के खानदान कैसे आगे बढ़ाओगे
कौन जनेगा बेटे, रिश्ते कैसे जुटाओगे
इनका तो गुरूओं-पीरों ने गुणगान गाया है
इन्होंने दुनियाँ में हमारा मान बढ़ाया है
तो भी अभी तक ये पैर की जूती कहाती हैं
बेटे तो जायदाद-जमीनें, बेटियाँ दुखों को बँटाती हैं
पंजाबी बोल:
लोको ना ए कहर गुजारो.......
धीयां कुख दे विच ना मारो.........
सदा सदा मां प्यां दे घर दी खैर मनाओं’दि’आं ने
पुत वंडोन जमीनां, धीयां दुख वंडो’दि’यां ने
नाल मशीनां टुक्कड़े टुक्कड़े कर के सुट देना
किसी कली नूं खिड़ने तो, पहलां ही पुट देना
ऐ कैसा दस्तूर वे लोको, कुछ ते समझे कुछ तो सोचो
कदें विचारियां गौआं, कदी चिड़ियाँ अखवोंदियां ने
बिन धीयां दे खान दान किवें अग्यां तोरां गे
कौन जम्मेगा पुत ते किथे रिश्ते जोड़ांगे
इह नूं गुरू पीरां वडयाया, दुनियां दे विच मान वदाया
तावीं पैर दी जुत्ती जै ही क्यों रखवोंदिया हैं
10 टिप्पणियां:
बेहद मार्मिक गीत है। इसे तो हर रेडिओ और टी वी पर बजाया जाना चाहिए, सुप्त लोगों को जगाना चाहिए, इससे पहले कि बहुत अधिक देर हो जाए।
घुघूती बासूती
behad marmik.
बेहद मार्मिक गीत है। इसे तो हर रेडिओ और टी वी पर बजाया जाना चाहिए, सुप्त लोगों को जगाना चाहिए
संजय कुमार
हरियाणा
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......
पढ कर मन भारी हो गया। कैसे होते हैं वे कातिल?
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सलीम खान का हृदय परिवर्तन हो चुका है।
नारी मुक्ति, अंध विश्वास, धर्म और विज्ञान।
abhinandneey geet.....
saarthak kaavya
... behad khoobsoorat va prabhaavashaali !!!!
dil ke por-por mein yah dard sama gaya........
ये सदा ही माँ बाप के घर की खैर माँगती हैं,
बेटे तो जायदाद-जमीनें, बेटियाँ दुखों को बँटाती हैं
बहुत मार्मिक .......... लाजवाब ........ सच है एक एक लाइन ......... बेटियों से बढ़ कर कोई नही ........ दिल में घर कर गया ये गीत ..........
मन को छू गया ये गीत
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