जिधर रोका वहीं जाने की आदत
दिल की धोखा खाने की आदत
उम्र ने कहा दानां बनो ना
हमें नादान कहाने की आदत
बिना वजह रूठ जाते हैं वो
जाने है मेरी मनाने की आदत
अजनबी ले लेतें है मुझसे वादा,
शक्ल पर चिपकी, निभाने की आदत
सबको पता, कब.. होंगे कहां
जिंदा घर, मुर्दा श्मशान जाने की आदत
तुम तो कभी... आवाज दोगे नहीं
हमें ही सुनने-सुनाने की आदत
तेरी हकीकतों से रूबरू तो हुए हैं
... जाएगी जाते जाते ख्वाब सजाने की आदत
सारी दुनियां खाक होनी ही है
... हमें जलने, उन्हें जलाने की आदत
पता नहीं रूह का, फिर होता होगा क्या?
जिस्म की कभी भी, मर जाने की आदत
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