कविता का विषय या मुद्दा
फंफूद से जन्में
किसी मौसमी कुकुरमुत्ते की तरह हो सकता है
कवि,
फफूंद को सहेजता है
वैसा ही मौसम बनाता है
जिसमें फफूंद बढ़ती है
हजारों रंग और किस्मों के,
हजारों कुकुरमुत्ते पैदा हो जाते हैं।
अब सहूलियत रहती है कि कवि,
कुकुरमुत्ते की तुलना
गुलाब से करे।
कवि,
अंधेरी गुफाओं, दरारों, सीलन भरी, दबी-ढंकी,
सढ़ती हुई, दलदली जमीनों में रहतें है।
और लोग कहते हैं,
(जहां ना पहुंचे रवि, वहां पहुंचे कवि)।
कवि,
राई बराबर संकरी नली के आगे
राई का दाना रखता है
दृष्टि को, नली से भी संकरा करता है
और फिर कहता है
राई पहाड़ भी होती है।
कवि,
मां-बहन की गालियों के अर्थ देखता है
रिश्तों में उत्तेजनाओं के अनर्थ देखता है
कवि परिभाषित करता है
अश्लीलता और उसके फलित,
शून्य के ईर्दगिर्द के गणित।
कवि,
तुक मिलाता है,
शब्द खाता है, अर्थ खाता है।
कवि,
शब्दों के बंदी हैं।
दुनियां भर की भाषाएं,
गूंगों अहसासों के खिलाफ साजिश हैं।
कवियों की कलम,
रक्त रंगी है।
शब्द ना हों तो
कवि, गूंगे के स्वाद से
ज्यादा बेचारा है।
कवि
अहसासों का संग्रहकर्ता है
अतीत बनाता है, स्मृति गढ़ता है
कवि
शेर के शिकार पर (साक्षात संवेदन पर)
सियारों की दावत है।
वह खाता है
अहसासों का बची-खुची खुरचन।
कवि
निःशब्द के सामने निरूपाय है।
कवि
तुम एक गहरी सांस लो
उसे रोके रहो, अपनी क्षमता तक।
फिर नाभि तक, सब खाली कर दो।
और अब बताओ,
कौन सी कविता लिखागे?
मौत पर।
9 टिप्पणियां:
सुंदर.
बेहद गहन भावनाओ का समावेश्।
कवि
अहसासों का संग्रहकर्ता है
अतीत बनाता है, स्मृति गढ़ता है
अच्छा आलेख सार्थक पोस्ट आभार
Kamaal kar diya hai is rachna men aapne...gazab...meri badhai swiikaren
काजलजी, वन्दनाजी, सुनील जी का आभार।
नीरज जी... आपकी बधाई के लिये धन्यवाद, आप सबकी प्रेरणाओं से ही है अपना ब्लॉग आबाद।
बहुत सुन्दर बुनकारी भाव व् शब्द सभी उत्तम
पहली बार आना हुआ पर सार्थक रहा|
बढ़िया ब्लॉग!!
आभार
बहुत अच्छी व्याख्या ...आभार
sunder bhavpoorn rachna ke liye aapko hardik badhai
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