सोमवार, 29 अगस्त 2011

कविता का विषय


कविता का विषय या मुद्दा
फंफूद से जन्में
किसी मौसमी कुकुरमुत्ते की तरह हो सकता है

कवि,
फफूंद को सहेजता है
वैसा ही मौसम बनाता है
जिसमें फफूंद बढ़ती है
हजारों रंग और किस्मों के,
हजारों कुकुरमुत्ते पैदा हो जाते हैं।
अब सहूलियत रहती है कि कवि,
कुकुरमुत्ते की तुलना
गुलाब से करे।


कवि,
अंधेरी गुफाओं, दरारों, सीलन भरी, दबी-ढंकी,
सढ़ती हुई, दलदली जमीनों में रहतें है।
और लोग कहते हैं,
(जहां ना पहुंचे रवि, वहां पहुंचे कवि)।

कवि,
राई बराबर संकरी नली के आगे
राई का दाना रखता है
दृष्टि को, नली से भी संकरा करता है
और फिर कहता है
राई पहाड़ भी होती है।

कवि,
मां-बहन की गालियों के अर्थ देखता है
रिश्तों में उत्तेजनाओं के अनर्थ देखता है
कवि परिभाषित करता है
अश्लीलता और उसके फलित,
शून्य के ईर्दगिर्द के गणित।

कवि,
तुक मिलाता है,
शब्द खाता है, अर्थ खाता है।

कवि,
शब्दों के बंदी हैं।
दुनियां भर की भाषाएं,
गूंगों अहसासों के खिलाफ साजिश हैं।
कवियों की कलम,
रक्त रंगी है।
शब्द ना हों तो
कवि, गूंगे के स्वाद से
ज्यादा बेचारा है।

कवि
अहसासों का संग्रहकर्ता है
अतीत बनाता है, स्मृति गढ़ता है

कवि
शेर के शिकार पर (साक्षात संवेदन पर)
सियारों की दावत है।
वह खाता है
अहसासों का बची-खुची खुरचन।


कवि
निःशब्द के सामने निरूपाय है।

कवि‍
तुम एक गहरी सांस लो
उसे रोके रहो, अपनी क्षमता तक।
फिर नाभि तक, सब खाली कर दो।
और अब बताओ,
कौन सी कविता लिखागे?
मौत पर।

9 टिप्‍पणियां:

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

सुंदर.

vandana gupta ने कहा…

बेहद गहन भावनाओ का समावेश्।

Sunil Kumar ने कहा…

कवि
अहसासों का संग्रहकर्ता है
अतीत बनाता है, स्मृति गढ़ता है
अच्छा आलेख सार्थक पोस्ट आभार

नीरज गोस्वामी ने कहा…

Kamaal kar diya hai is rachna men aapne...gazab...meri badhai swiikaren

Rajeysha ने कहा…

काजलजी, वन्‍दनाजी, सुनील जी का आभार।

नीरज जी... आपकी बधाई के लि‍ये धन्‍यवाद, आप सबकी प्रेरणाओं से ही है अपना ब्‍लॉग आबाद।

gazalkbahane ने कहा…

बहुत सुन्दर बुनकारी भाव व् शब्द सभी उत्तम

Anupam Karn ने कहा…

पहली बार आना हुआ पर सार्थक रहा|
बढ़िया ब्लॉग!!

आभार

रजनीश तिवारी ने कहा…

बहुत अच्छी व्याख्या ...आभार

amrendra "amar" ने कहा…

sunder bhavpoorn rachna ke liye aapko hardik badhai

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