Friday 22 April 2011

पाब्‍लों नेरूदा की कवि‍ता..... कुछ उस तरह

राजेशा योज-प्रयोज :-


मैं तुमसे प्यार करता हूँ।
इसलिए,
मैं तुम्हें भूल गया हूं।

मैं वहाँ से
“जहाँ मैं तुमसे प्यार करता था ”
वहां तक पहुंच गया हूं
“कि तुम्हारी याद भी नहीं आती”

मैं तुम्हारे इंतजार में
वहां पहुंच गया हूं
जहां अब कोई इंतजार नहीं है।

मैंने खुद ही
तुम्हें अपने से दूर कर दिया है
कि तुम कि‍सी सुख में रह सको।
और मैं भटकने से बचा रहूं
... सारी बुराईयों के जंगल से।

मैं बचा रहूं.... तुम्हें जानने से
कि
मेरे लिए
तुम्हारे जुबान पर वरदान थे
या
तुम्हारे साथ के रूप में
मुझे शाप जीना था।

मैंने घाम और उमस भरी गर्मियाँ
और सारी बर्फीली सर्दियां
तुम्हें भूलाये हुए बिता दी हैं

सच
उन दिनों
जब तुम दिखती थीं
दिनों दिनों बाद
मुझे
उन दिनों की याद भी नहीं है।

मैंने
चाहकर,
तुम्हारे पते वाले लिफाफे में रखी
चैन की चाबी खो दी है।

और
मैं बड़ी आसानी से
निश्चिंत
मौत की राह पर हूं
इस झूठे अभिमान में
कि
किसी जीवन से
मुझे भले ही कुछ ना मिला हो
बस
रगों में बहती आग से
मैं जानता हूं
कि  “ प्यार क्या होता है। ”



.... पाब्‍लो नेरूदा की मूल कवि‍ता :- 
I do not love you except because I love you;
I go from loving to not loving you,
From waiting to not waiting for you
My heart moves from cold to fire.

I love you only because it's you the one I love;
I hate you deeply, and hating you
Bend to you, and the measure of my changing love for you
Is that I do not see you but love you blindly.

Maybe January light will consume
My heart with its cruel
Ray, stealing my key to true calm.

In this part of the story I am the one who
Dies, the only one, and I will die of love because I love you,
Because I love you, Love, in fire and blood.

3 comments:

Dr Varsha Singh said...

पाब्‍लो नेरूदा की कवि‍ता की बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद!

amrendra "amar" said...

मैं तुमसे प्यार करता हूँ।
इसलिए,
मैं तुम्हें भूल गया हूं।

मैं वहाँ से
“जहाँ मैं तुमसे प्यार करता था ”
वहां तक पहुंच गया हूं
“कि तुम्हारी याद भी नहीं आती”
waaah , sunder panktiyon se parichay karane ke liye bahut-bahut shukriya

Amrita Tanmay said...

प्रेम ऐसा ही होता है .बहुत सुन्दर .

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