मंगलवार, 19 अप्रैल 2011

क्‍या सारे वक्‍त बीत जाते हैं ?

कभी-कभी ऐसा लगता है
कि वक्त बहुत कम है।

वक्त बहुत ज्यादा भी हो
तो भी
वक्त बहुत कम होता है
अगर आपने बहुत कुछ गलत कर रखा हो
आपको ढेर सारी नींद आती हो
और आपकी कोई इच्छा ना हो
कुछ भी सुधारने की।

वक्त बहुत कम होता है
जब पता चले
कि पिछले 30 बरस
बिना समझ में आये ही गुजर गये
और
बहुत घबराहट सी होती है
कि अगले 30 बरस तक भी
क्या समझ में आ जायेगा।

वक्त बहुत कम होता है
जब पता चले
ढेर सारा वक्त गुजर चुका है
उन यादों को उलटने पलटने में
जो राख ही हैं

तो चलो
अब
जबकि पता चल गया कि
वक्त बहुत कम है
तो
कोशिश करें
जाग जाने की
सपनों से बाहर आने की
बिना यह कहे
कि यह तो कल भी हो सकता है।

या तुम्हारा कोई सरोकार ही नहीं है
किसी भी वक्त से
जो गुजर गया उससे
जो गुजर रहा है, उससे या,
जो आने वाला है उससे
तुम्हें डर लगता है,
जीने से?

और
तुम नींद के बहाने
किसी मौत को महसूस करने की
कोशिश करते हो।
क्या तुम्हें पता है -
बेहोश लोगों को
मरने का भी पता नहीं चलता।

या तुम्हें
नींद में
सपनों में चलना-फिरना ही
हकीकत लगने लगा है।

11 टिप्‍पणियां:

रज़िया "राज़" ने कहा…

कभी-कभी ऐसा लगता है
कि वक्त बहुत कम है।
सही कहा है आपने।

रश्मि प्रभा... ने कहा…

वक्त बहुत कम होता है
जब पता चले
कि पिछले 30 बरस
बिना समझ में आये ही गुजर गये
और
बहुत घबराहट सी होती है
कि अगले 30 बरस तक भी
क्या समझ में आ जायेगा।
lagta hai aur ek shunya sa chha jata hai

pragya ने कहा…

बहुत ही inspirational कविता है आपकी ये...सचमुच वक़्त बहुत कम होता है उनके लिए जो इस कविता में उद्धृत हैं..तो चलो आज से जागें...

संजय भास्‍कर ने कहा…

या तुम्हें
नींद में
सपनों में चलना-फिरना ही
हकीकत लगने लगा है।
.............सही कहा है आपने

डॉ टी एस दराल ने कहा…

जहाँ जागो , वहीँ सवेरा होता है ।
नींद से जगाती रचना । अति सुन्दर ।

Apanatva ने कहा…

Dr sahab ne lagta hai mere bhav aur shavd douno hathiya liye hai................
unke vicharo se pooree tour se sahmat hoo..........

Sunil Kumar ने कहा…

तुम नींद के बहाने
किसी मौत को महसूस करने की
कोशिश करते हो।
क्या तुम्हें पता है -
बेहोश लोगों को
मरने का भी पता नहीं चलता।
अतिसंवेदनशील रचना सोंचने पर मजबूर करती अच्छी लगी ,बधाई

Minoo Bhagia ने कहा…

sach mein , waqt bahut kam hota hai

Rajeysha ने कहा…

रजिया राज जी
रश्मि प्रभा जी
प्रज्ञा जी
संजय भास्कर जी
डॉ टी एस दराल साहब
अपनत्व जी
सुनील कुमार जी
और मीनू भगिया जी

समय देने, पढ़ने और टिप्पणी के लिए आभार!

amrendra "amar" ने कहा…

अतिसंवेदनशील रचना अच्छी लगी
आभार

Amrita Tanmay ने कहा…

पढ़कर सोचने पर विवश हुई ..अच्छी लगी काश हम पहले ही जाग जाते . ...

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