शुक्रवार, 4 जून 2010

ऐसा भी हुआ


नहीं ऐसा भी नहीं, कि हम खाली हाथ लौटे
उसके दर से लौटे हम, नई हसरत लिये हुए

6 टिप्‍पणियां:

M VERMA ने कहा…

नहीं ऐसा भी नहीं, कि हम खाली हाथ लौटे
उसके दर से लौटे हम, नई हसरत लिये हुए

बहुत खूब

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

bahut sunder....

Apanatva ने कहा…

mujhe sakaratmakta bhatee hai...........
asardar panktiya...........

Shekhar Kumawat ने कहा…

bahut khub



फिर से प्रशंसनीय रचना - बधाई

kunwarji's ने कहा…

khoobsurat hai ji....

kunwar ji,

दिगम्बर नासवा ने कहा…

हसरत है तो जीने की आस है ... बहुत खूब लिखा है ...

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