मंगलवार, 29 जून 2010


तन्हा लहर है, तन्हा किनारे,
सारे सागर हैं तन्हा
हम ही उसकी यादों की भीड़ में
सारे नजारे हैं तन्हा

जलाती है जुदाई की आग
हम दीवाने परवानों को
शमां को कोई खबर ही नहीं
सारे शरारे हैं तन्हा

चांद ना जाने कहां गया है
चातक की सारी रात गई
सारे बादल भटक रहे हैं
सारे सितारे हैं तन्हा

तुम जो हमसे पराये हुए
पराये सारे साये हुए
मौत जिन्दगी में फर्क खत्म है
हम बेचारे हैं तन्हा

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