जिन्दगी फकत तेरी मोहब्बत का सहारा था
वर्ना क्या था मैं, क्या ये दिल बेचारा था
जब कभी उम्रों के गम से, आजिज हम आये
उदासियों के सागर को, तेरा दामन किनारा था
लोगों से सुना था- माजी में जीना मुर्दानगी है
तेरी यादों से ही रोशन, मेरा किस्मत सितारा था
कयामत बाद मुझसे जब मिला वो खुदा बोला
कभी मारे मरे ना, ये उम्मीदों का शरारा था
बारहा पूछता है मुझसे मेरी शाम का मजमूं
हाय कैसे कहूं कैसा करारा, उसका इशारा था
7 टिप्पणियां:
कभी मारे मरे ना, ये उम्मीदों का शरारा था
Excellent!
-Rajeev Bharol
कयामत बाद मुझसे जब मिला वो खुदा बोला
कभी मारे मरे ना, ये उम्मीदों का शरारा था
waah
bahut bahut khoob sirji...
http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
लोगों से सुना था- माजी में जीना मुर्दानगी है
तेरी यादों से ही रोशन, मेरा किस्मत सितारा था
Bahut khoob ... maaji ki yaaden to jeene ka sahaara hain ...
बारहा पूछता है मुझसे मेरी शाम का मजमूं
हाय कैसे कहूं कैसा करारा, उसका इशारा था|
bahut sundar gazal
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/\
अच्छी ग़ज़ल लिखी है भाई।
nice
एक टिप्पणी भेजें