Saturday 17 April 2010

उदासियों के सागर को, तेरा दामन किनारा था

जिन्दगी फकत तेरी मोहब्बत का सहारा था
वर्ना क्या था मैं, क्या ये दिल बेचारा था

जब कभी उम्रों के गम से, आजिज हम आये
उदासियों के सागर को, तेरा दामन किनारा था

लोगों से सुना था- माजी में जीना मुर्दानगी है
तेरी यादों से ही रोशन, मेरा किस्मत सितारा था

कयामत बाद मुझसे जब मिला वो खुदा बोला
कभी मारे मरे ना, ये उम्मीदों का शरारा था

बारहा पूछता है मुझसे मेरी शाम का मजमूं
हाय कैसे कहूं कैसा करारा, उसका इशारा था

7 comments:

Anonymous said...

कभी मारे मरे ना, ये उम्मीदों का शरारा था

Excellent!


-Rajeev Bharol

रश्मि प्रभा... said...

कयामत बाद मुझसे जब मिला वो खुदा बोला
कभी मारे मरे ना, ये उम्मीदों का शरारा था
waah

दिलीप said...

bahut bahut khoob sirji...

http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/

दिगम्बर नासवा said...

लोगों से सुना था- माजी में जीना मुर्दानगी है
तेरी यादों से ही रोशन, मेरा किस्मत सितारा था

Bahut khoob ... maaji ki yaaden to jeene ka sahaara hain ...

Shekhar Kumawat said...

बारहा पूछता है मुझसे मेरी शाम का मजमूं
हाय कैसे कहूं कैसा करारा, उसका इशारा था|


bahut sundar gazal


shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/\

डॉ टी एस दराल said...

अच्छी ग़ज़ल लिखी है भाई।

amitabh said...

nice

Post a Comment