बुधवार, 26 फ़रवरी 2014

बारिश और ईश्वर के कौए



जब अचानक ​टूटकर बारिश हो जाती है
तब कैसा महसूस होना चाहिए

कि घर पर
घुप्प अंधेरा हो जाएगा
वो भीग जाएगी
बत्ती गुल हो जाएगी
बच्चे डर जाएंगे

कि फसल बिछ जाएंगी
गांव के दिल में
बरछियां खिंच जाएंगी
किसान मर जाएंगे

कि बस...
शहर ठहर जाएगा
खुद को इतनी फुर्सत से
बेचैन पाएगा
और शाम को जिंदा लोग
जिंदा ही घर जाएंगे

कि कस्बे की
इकलौती सड़क
लोगों के इकट्ठा होने का
बेधड़क बहाना हो जाएगी
पकोड़े तले जाएंगे
दारू की दुकानों पर
सभी, सारे वर पाएंगे

मुझे लगा
कौए, गांव कस्बे और शहर
सब जगह होते हैं
दिन में भी
रात को भी
बारिश के पहले भी
बारिश में भी
बारिश के बाद भी
तो ऐसे समय

जब अचानक ​टूटकर बारिश हो जाती है
ईश्वर को
कौए की तरह
याद किया जाना चाहिए

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