Saturday 26 May 2012

ढेर सारी सुविधा, ढेर सारा आलस।

ढेर सारी सुविधा
ढेर सारा आलस
मौसमी गर्मी उमस से नहीं
दिल घबराता है
इस बात से कि
अगर ये सब ना हो तो ?
यही...
ढेर सारी सुविधा
ढेर सारा आलस।
ढेर सारी सुविधा, ढेर सारा आलस,
आपको वो सब नहीं करने देता
जो आप पिछले कई सालों से नहीं कर पाये हैं
और हो सकता है कि
आप किसी भी मौत तक वो ना कर सकें,
वजह आप मानेंगे ही
ढेर सारी सुविधा
ढेर सारा आलस।
हम इस सब के इतने आदि हैं
कि न्यूनतम पर राजी हैं
यकीनन कुछ खास नहीं
आम आदमी हैं
गाजर मूली भाजी हैं
वजह वही
ढेर सारी सुविधा
ढेर सारा आलस।
ढेर सारा खाना, ढेर सारा टीवी
ढेर सारे बच्चे, ढेर सारी बीवी
ढेर सारे खर्चे, ढेर सारी चिंता
ढेर सारे काम, इंतिहा इंतिहा
मौत तक नहीं करोगे बस
रहोगे जस के तस
बिना किसी बीमारी के,
बीमार, लाचार, बेजार, बे-खबरदार
अनचाहे ही,
तुम जानते हो वजह
ढेर सारी सुविधा
ढेर सारा आलस





5 comments:

Anju (Anu) Chaudhary said...

ठीक कहा की ...हम सुख सुविधा के आदि हो चुके हैं

Rajeysha said...

धन्यवाद अनु जी!

कविता रावत said...

बहुत सुन्दर रचना ...
आप मेरे ब्लॉग पर आये और आपने मेरी पहली ब्लॉग कहानी पर बेबाक टीप दी इसके लिए आभार ...आपके विचारों से सहमत हूँ लेकिन निरंतरता बनी रहे इसके लिए सक्रिय तो होना ही पड़ता है ...
नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाओं सहित सादर ..

सु-मन (Suman Kapoor) said...

वाह बहुत खूब लिखा है ...

कविता रावत said...

नववर्ष की शुभकामनायें!

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