लोग बहुत जल्दी में हैं
आंखे होते हुए भी देखना नहीं चाहते
कान होते हुए भी सुनना नहीं चाहते
और इसी तरह
लोग अपने जिस्म की ताकतों से भी दूर होकर
लोग बस भाग रहे हैं
यहां तक कि उन्हें यह भी नहीं पता
कि वो कब उड़ने लगे हैं
लोग बहुत जल्दी में हें
झूठ की फिसलन भरी राहों पर
जैसे हवाई जहाज से
आत्म हत्या के लिये कूदा हुआ कोई आदमी
किसी के भी हाथ में नहीं आये
यहां तक की सच के भी
लोग बहुत जल्दी में हैं
बटोर ले जाना चाहते हैं
धन दौलत, और
अपनी हवस के सारे अनुभव
इस धरती के पार तक
किसी अनजान ग्रह पर
लोग बहुत जल्दी में हैं
इतनी जल्दी में
कि उन्हें खुद नहीं मालूम
कि वो किस राह पर हैं
और उस राह की
कोई मंजिल है भी या नहीं
लोग बहुत जल्दी में हैं
और जिसे वो जिन्दगी की जुगाड़ कहते हैं
उस इंतजाम में खोये हुए
वो बस अचानक
खुद ही
वहां पहुंच जाते हैं जिससे बचते हुए
लोग बहुत जल्दी में होते हैं हर वक्त
लोग बहुत जल्दी में हैं
और अचानक अपने आपको पाते हैं उस शै के सामने
जिसे 'अचानक' शब्द का पर्याय कहते हैं।
लोग बहुत जल्दी में हैं
किसी के भी हाथ नहीं आते
सिवा मौत के।