जब कभी, कहीं, बारिश बरसती देखी
हर तरफ, तेरी याद बिखरती देखी
यूं तो मेरे दिल सा, बुझदिल कोई ना था
तुम मिले, इसी दिल से, दुनिया डरती देखी
तेरी याद के गहरे सन्नाटे में अक्सर
इक हूक सी उठती-उभरती देखी
कि हमने ख्वाहिशों को पालना ही छोड़ दिया
तेरी जुदाई में, ख्वाहिशें सभी, मरती देखी
_________________________________________________________________________हर तरफ, तेरी याद बिखरती देखी
यूं तो मेरे दिल सा, बुझदिल कोई ना था
तुम मिले, इसी दिल से, दुनिया डरती देखी
तेरी याद के गहरे सन्नाटे में अक्सर
इक हूक सी उठती-उभरती देखी
कि हमने ख्वाहिशों को पालना ही छोड़ दिया
तेरी जुदाई में, ख्वाहिशें सभी, मरती देखी
d
6 टिप्पणियां:
खूबसूरत गज़ल
bahut hi sundar .
जब कभी, कहीं, बारिश बरसती देखी
हर तरफ, तेरी याद बिखरती देखी
waah
बारिश का बरसना अच्छा लगा ।
जब कभी, कहीं, बारिश बरसती देखी
हर तरफ, तेरी याद बिखरती देखी..
बारिश की कहानी ग़ज़ल के माध्यम से ..... मदमस्त कर देती है बारिश की बूँदें ....
a very nice poem. I really liked it.
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