बेखुदी में भी, मुझे तेरा खयाल रहता है
हो ना हो तू, यहां तेरा कमाल रहता है
क्या हुआ आज जमाना बुरा है मुझसे तो
कि गुजरा कल ही इसकी मिसाल रहता है
क्या पता, फिर मिले, जाने कहां, किस सूरत में
तेरी हर याद को, मेरा दिल सम्हाल रहता है
रोज ही रात महकती, चहकती, दमकती है
हो न हो, तू मेरी नजर, तेरा जमाल रहता है
तू माफ कर दे मुझे, पर यही मुसीबत है
रोज ही मुझमें, कोई नया बवाल रहता है
शाम होते ही जैसे दिल भी डूबा जाता है
रोज सूरज की शक्ल, नया सवाल रहता है
12 टिप्पणियां:
bahut khoob.
बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।
BEHTAREEN RACHNAA !
तू माफ कर दे मुझे, पर यही मुसीबत है
रोज ही मुझमें, कोई नया बवाल रहता है
bahut sunder sher.........
pooree rachana bandhe rakhatee hai...........
achchhi....bahut achchhi
रचना के मूल्यांकन हेतु सभी आदरणीय सद्जनों का हार्दिक आभार।
शाम होते ही जैसे दिल भी डूबा जाता है
रोज सूरज की शक्ल, नया सवाल रहता है
मुहब्बत में कुछ ऐसा ही होता है .. हर दिन नया दिन, हर रात नयी रात होती है ... अच्छा लिखा है ...
bahut khoob
Achchhi ghazal hai
Badhai
Happy holi....
अच्छी लगी आपकी भावाभिव्यक्ति ......!!
तेरी हर याद को, मेरा दिल सम्हाल रहता है
सम्हाले रहता है या सम्हाल रखता है ...फिरसे देखिये ?
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