मंगलवार, 8 जनवरी 2013

माँ.....1


माँ
तुम केवल याद नहीं हो
जो कभी हो, कभी ना हो.
तुम मेरे भीतर
मेरे जिन्दा रहने तक जिन्दा हो.

माँ तुम मुझमें वैसे ही हो
जैसी तुम में तुम्हारी मां थीं...
जैसे सुकून देने वाला कोई मंत्र
तभी तो हर खुशी—गम में
तुम याद करतीं थीं...'ओ मेरी माँ !'...
और हर—खुशी गम में
तुम मेरे साथ होती हो.


माँ
जब कुछ होता है
हम उसकी मूल्य भर जानते हैं
जब खो जाता है
तब हम जानते हैं
कि वो कितना अमूल्य था.
मां तुमने तो
बड़ी जल्द बता दिया
कि तुम कितनी अमूल्य थीं..


माँ
बड़े ही मशहूर लोगों की तरह
बेनाम लोगों की भी माएँ होती हैं
और उस चिड़िया के बच्चे की भी
जिसकी मां.. बाज झपट ले गया
और तुझे मौत.
पर मुझे याद है
पंखों सी नर्म और कुनकुनी
तेरी मौजूदगी की गर्माइश
जिसकी याद में
जीवन के कठिनतम पल
अपनी कठिनता खो देंगे.


माँ
जब नानी नहीं रहीं थीं
तुमने दशकों तक ये जिज्ञासा जताई--
कि | वो जाने किस रूप में होंगी...
तुमने चिड़िया को दाने डाले
गाय को रोटियां​ खिलाईं
कुत्ते के पिल्ले को प्यार किया
आकाश की ओर देखा
ईश्वर को उस घर की तरह देखा
जिसमें माँ रहती है
और सच...
अब तू भी
ईश्वर के घर चली गई है

माँ
तू बड़ी सीधी—सादी थी
तूने अर्थी के लिए कंधे नहीं जुगाड़े
पड़ोस जाकर चुगलियां नहीं कीं...
रूदालियां ना इकट्ठा कीं
विज्ञान नहीं पढ़े..गप्पें नहीं हांकी ...
जवानी की दहलीज से
बुढ़ापे की अर्थी तक
हमारी साज—संभाल में ही व्यस्त रही
मां तू बड़े ही पुराने जमाने की मां थी
आदिकाल की.. आदिशक्ति सी..

माँ
मुझमें जो भी गुण हैं
वो सब तेरे हैं
जो भी अवगुण दूर हो सके
तेरे कारण...

माँ तू मेरा सबसे बड़ा गुरू है
तू सबसे बड़ी है
तेरे कारण मेरा होना है
तेरे कारण वो समझ है
जो जान सके गुरूता
क्या है?



माँ
तुझमें खुदा के इशारे हैं
तू ईश्वरत्व का अनुमान है
वर्ना मैं कैसे समझता जानता
ईश्वर किस चिड़िया का नाम है.

माँ
तुम ईश्वर की तरह
हमेशा एक कविता थीं
जब साकार थीं तब भी
जब निराकार हो तब भी.
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पिछले 2—3 बरस कुछ ज्यादा ...संबंधितों के मां बाप को श्मशान तक विदा दी.. अपनी बारी इतनी जल्द आयेगी...मौत की तरह ही इसका अनुमान नहीं होता. अंतिम संस्कार की र​स्मों से अपरिचित थे... कि... माँ ही पहला पुख्ता सबक बनकर सामने आ गई..
लगभग 7 त्रासद महीनों की अंतिम अवधि उपरांत 13 जुलाई 2012 को हमारी मां सुदर्शना देवी से देह छूट गई।
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4 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

बहुत सही बात कही है आपने .सार्थक अभिव्यक्ति राज जी भगवन आपकी माता जी की आत्मा को शांति दे और आप सभी को ये असहनीय दुःख सहने की सामर्थ्य . संस्कार -सौदा /मोहन -मो./क्या एक कहे जा सकते हैं भागवत जी?

दिगम्बर नासवा ने कहा…

माँ से जुड़े आपकी एहसास ... मन की भावनाएं समझना मुश्किल नहीं ... दिल के करीब रहती है माँ हमशा ...

Mark ने कहा…

Great post so thanks for share.

Birthday Gifts

बेनामी ने कहा…

अक्षर अक्षर सच और बीतता हुआ लगता है …. नमन

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