वे महिला पुरूष युगल जो विवाहपूर्व अपनी मित्रता को लम्बे समय तक यौनसम्बधों से बचाये रखते हैं उनका विवाह उनके लिए कई प्लस प्वांइट लेकर आता है। अमरीकन साइकोलॉजीकल एसोसिएशन की पारिवारिक मनोविज्ञान शाखा के जर्नल में छपे एक अध्ययन में 2035 विवाहितों ने भाग लिया। इस निष्कर्ष में उन युगलों को विवाहोपरांत अतिरिक्त लाभ मिले जो अपने संबंधों में यौनसंसर्ग को काफी बाद में या वर्षों की देरी से लाये। जब उनसे पूछा गया कि आप अपने रिश्ते में यौन सम्बंधों में कब उतरे? उनके उत्तरों का सांख्यकीय विश्लेषण करने से यह निष्कर्ष सामने आये:
- संबंधों में स्थिरता की दर अन्य युगलों से 22 प्रतिशत ऊंची थी
- संबंधों से संतुष्टि की दर अन्य से 20 प्रतिशत ज्यादा थी।
- संबंधों में यौन संबंधों की गुणवत्ता भी अन्यों से 15 प्रतिशत बेहतर थी।
- संबधों में आपसी सामंजस्य, संवाद भी 12 प्रतिशत बेहतर रहता है।
जो लोग विवाह पूर्व ही यौन सम्बंधों में पड़े उनको इन बिन्दुओं से आधे से भी कम लाभ मिले। आस्टिन की यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के समाज विज्ञानी मार्क रेगनेरस ने बताया कि उनकी रिसर्च संबंधों में वैयक्तिक अनुभवों पर आधारित थी ना कि संबंधों की अवधि पर ।
ब्रीघम यंग यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ फैमिली लाईफ के प्रोफेसर डीन बसबी के अनुसार - संबंध, यौन संसर्ग के अलावा भी बहुत कुछ होते हैं लेकिन हमने यह जानने की कोशिश की कि वो लोग जो अपने संबंधों के यौन पक्ष के प्रति प्रतीक्षापूर्ण रवैया अपनाते हैं, ज्यादा खुशहाल रहते हैं। क्योंकि वे लोग जीवन के भावी प्रश्नों के बारे में आपस में बातचीत करना और साथ मिलकर काम करना सीख लेते हैं।
जो लोग हनीमून की पहली रात को ही यौन संसर्ग में उतर जाते हैं उन्हें लगता है कि उनका बाद का वैवाहिक जीवन, जीवन के प्रश्नों का उत्तर देने के लिए अपरिपक्व था। यहां तक कि संबंधों को स्थिरता, साथी की विश्वसनीयता जैसे गुणों के पनपने में भी यह ‘‘पहली ही रात का यौन संबंध’’ प्रतिकूल रहा।
जो युगल अपने संबंधों में यौन संसर्ग के प्रति प्रतीक्षावान दिखे, उनके रिश्ते को उनका धार्मिक पक्ष भी इस मामले में मजबूती प्रदान करता है।
कैंसरग्रस्त निःसंतान युगलों के लिए विज्ञान का नया वरदान
कैंसर के इलाज के दौरान बड़ी संख्या मंे महिलाएं बांझपन और पुरूष नपुंसकता से ग्रस्त हो जाते हैं। कैंसरग्रस्त मरीज भी बेऔलाद ना रहें, मां-बाप बन सकें इसके लिए सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में डॉक्टरों ने महिलाओं के अंडाशय यानि ओवरी के ऊतक संरक्षित करने करने में सफलता प्राप्त की है।
अब कैंसर का इलाज करने से पहले महिलाओं की ओवरी के कैंसर कोशिकाओंरहित ऊतकों को संरक्षित कर लिया जायेगा और जब भी कोई कैंसरग्रस्त महिला माँ बनना चाहेगी इन अंडाशय के ऊतकों को महिला की बांह के अगले हिस्से की त्वचा के नीचे या पेट में इंप्लांट किया जा सकेगा। कुछ दिन बाद, यदि इंपलांट वाले स्थान पर मटर के दाने के बराबर उभार नजर आता है तो डॉक्टर समझ जायेंगे के अंडाशय के ऊतकों में अंडाणु बन चुके हैं। इन ऊतकों से अंडाणु को अलग कर आईवीएफ तकनीक के जरिये महिलाएं 3-4 माह में गर्भधारण कर सकती हैं।
चिकित्सीय जॉंचों के लिए मोबाइल फोन के आकार का गैजेट
बैंगलोर की रजनीकांत वांगला एंड टीम एक ऐसा गैजेट परिष्कृत करने में जुटी है जिससे विभिन्न तरह की जांचे जेसे फोरेंसिक जांच, एचआईवी, कैंसर, अज्झाईमर और ब्रेन ट्यूमर आदि की जांच मात्र 20 मिनिट में और केवल रू 150/- के खर्च पर की जा सकेगी।
इससे जैनेटिक जांच से भाग रहे नारायण दत्त तिवारी जैसे पतित नेताओं के पापों की गणना भी हो सकेगी। काश चुनाव में खड़े होने वाले नेताओं के चरित्र की जांच करने का भी कोई गैजेट निकाला जा सके जो बताये कि आने वाले सालों में वो किन किन भ्रष्टाचारों, दुष्कर्मों के कर्ताधर्ता बनेंगे तो देश का भला हो।
इससे जैनेटिक जांच से भाग रहे नारायण दत्त तिवारी जैसे पतित नेताओं के पापों की गणना भी हो सकेगी। काश चुनाव में खड़े होने वाले नेताओं के चरित्र की जांच करने का भी कोई गैजेट निकाला जा सके जो बताये कि आने वाले सालों में वो किन किन भ्रष्टाचारों, दुष्कर्मों के कर्ताधर्ता बनेंगे तो देश का भला हो।
अपने चश्मे उतारें और मुर्गों को पहनायें
चीन के दक्षिणी-पश्चिमी क्षेत्र के चेगदू प्रांत के मुर्गी पालकों ने मुर्गों को आपस में लड़कर घायल होने से बचाने के लिए चश्में का उपाय ढूंढा है। यहां के मुर्गे स्वभाव से बेहद लड़ाकू होने की वजह से अक्सर आपस में लड़ते रहते हैं और परस्पर एक-दूसरे को बहुत बुरी तरह से घायल कर देते हैं। ऐसे मुर्गों को चश्मा पहना दिया जाता है जिससे उनको ठीक से नजर नहीं आता और वो आपस में नहीं लड़ते।
लेकिन इंसानों की बीमारी ठीक उलट है - उनकी आंखों पर धर्म, जाति, सम्प्रदाय, पार्टी, समूह विशेष के चश्में उम्र के साथ-साथ एक के बाद एक चढ़ते ही चले जाते हैं, जिनको उतारना बहुत ही आवश्यक है जिससे वो किसी भी तथ्य को नंगी आंखों से ज्यों का त्यों देख सकें।
एक वैज्ञानिक जोक:
यदि आपको आये दिन गैस रहती है। वायु विकार रहता है। गैस बहुत बनती है। इस विकार से आप हर वक्त परेशान रहते हैं तो आपको वायु विकार से बचने के लिए डॉ उमेश पुरी ज्ञानेश्वर एक उपाय बता रहे हैं। डॉ उमेश पुरी ज्ञानेश्वर के अनुसार यह टोटका अचूक है और इसमें मन्त्र का प्रयोग होता है।
मन्त्र इस प्रकार है-ऊँ वम वज्रहस्ताभ्याम नमः
इस मंत्र को किसी भी सूर्य ग्रहण में 10माला पढ़कर सिद्ध कर लें। बाद में मिश्री या कोई वस्तु को इस मन्त्र से 21 बार अभिमन्त्रित कर दें। रोगी को वह मिश्री खाने को दे दें। वायु विकार में तुरन्त आराम होगा। इस मन्त्र को जितना जपेंगे उतना अधिक सिद्ध होगा और लाभ भी अधिक होगा। वायु विकार से मुक्ति का अनुभूत मन्त्र प्रयोग है। इस मन्त्र को करके आप भी लाभ उठाएं और अपने मिलने जुलने वालों या परिचितों को बताकर लाभ पहुंचाएं। अंधविश्वास सहित किया प्रयोग सफल होता है।
अब ये सब लिखने और आप तक पहुंचाने की वजह यही है कि मैं अपने दिमाग का वह हिस्सा काफी समृद्ध करना चाहता हूं जो मस्तिष्क वैज्ञानिकों के अनुसार, सोशल नेटवर्क होने की वजह से फलता-फूलता है।
इस कुछ वर्षों के लिए मिली देह और मनमस्तिष्क के साथ ही आवश्यक है कि हम कुछ और गहरे उतर, अमर तत्व - अपनी आत्मा के बारे सोचें करें, जिसके लिए निम्नलिखित लिंक बहुत ही सहायक हो सकता है।एक वैज्ञानिक जोक:
यदि आपको आये दिन गैस रहती है। वायु विकार रहता है। गैस बहुत बनती है। इस विकार से आप हर वक्त परेशान रहते हैं तो आपको वायु विकार से बचने के लिए डॉ उमेश पुरी ज्ञानेश्वर एक उपाय बता रहे हैं। डॉ उमेश पुरी ज्ञानेश्वर के अनुसार यह टोटका अचूक है और इसमें मन्त्र का प्रयोग होता है।
मन्त्र इस प्रकार है-ऊँ वम वज्रहस्ताभ्याम नमः
इस मंत्र को किसी भी सूर्य ग्रहण में 10माला पढ़कर सिद्ध कर लें। बाद में मिश्री या कोई वस्तु को इस मन्त्र से 21 बार अभिमन्त्रित कर दें। रोगी को वह मिश्री खाने को दे दें। वायु विकार में तुरन्त आराम होगा। इस मन्त्र को जितना जपेंगे उतना अधिक सिद्ध होगा और लाभ भी अधिक होगा। वायु विकार से मुक्ति का अनुभूत मन्त्र प्रयोग है। इस मन्त्र को करके आप भी लाभ उठाएं और अपने मिलने जुलने वालों या परिचितों को बताकर लाभ पहुंचाएं। अंधविश्वास सहित किया प्रयोग सफल होता है।
अब ये सब लिखने और आप तक पहुंचाने की वजह यही है कि मैं अपने दिमाग का वह हिस्सा काफी समृद्ध करना चाहता हूं जो मस्तिष्क वैज्ञानिकों के अनुसार, सोशल नेटवर्क होने की वजह से फलता-फूलता है।
2 टिप्पणियां:
काफी अच्छी जानकारी.. आभार..
वैज्ञानिक तथ्यों और आंकड़ों को देते समय अगर सबंधित मूल रिपोर्ट का भी हवाला दे दें तो लेखों की प्रामाणिकता बढ़ जायेगी..
अच्छी पोस्ट , नववर्ष की शुभकामनाएं । "खबरों की दुनियाँ"
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