मैंने सच की बात की तो लोग दुश्मन हो गये
बात हक के साथ की तो लोग दुश्मन हो गये
उम्र भर जिनसे निभाई मैंने दुश्मनी बार बार
मौत की मंजिल पे सारे मेरे हमदम हो गये
कभी कभी जिनसे मिला, सबने ही प्यारा कहा
साथ जिनके बरसों से, वो लोग बेमन हो गये
खून के रिश्तों की लज्जत, जाने कब कहां खो गई
अजनबी लोगों से रिश्ते, दिल की उलझन हो गये
रूह की बातें पराई, मन से अनबन हो गई
खरीद लो और बेच दो, अब लोग बस तन हो गये
बात हक के साथ की तो लोग दुश्मन हो गये
उम्र भर जिनसे निभाई मैंने दुश्मनी बार बार
मौत की मंजिल पे सारे मेरे हमदम हो गये
कभी कभी जिनसे मिला, सबने ही प्यारा कहा
साथ जिनके बरसों से, वो लोग बेमन हो गये
खून के रिश्तों की लज्जत, जाने कब कहां खो गई
अजनबी लोगों से रिश्ते, दिल की उलझन हो गये
रूह की बातें पराई, मन से अनबन हो गई
खरीद लो और बेच दो, अब लोग बस तन हो गये
25 टिप्पणियां:
बडी तल्ख सच्चाइयाँ प्रस्तुत की हैं।
खून के रिश्तों की लज्जत, जाने कब कहां खो गई
अजनबी लोगों से रिश्ते, दिल की उलझन हो गये
behtareen rachna
ऐसा ही होता है.
बढ़िया भाव..
रूह की बातें पराई, मन से अनबन हो गई
खरीद लो और बेच दो, अब लोग बस तन हो गये
बहुत सही लिखा है । आधुनिक युग में मानव भी एक यंत्र बन कर रह गया है ।
acchee abhivykti......
पहली बार ब्लॉगर टू मेल विकल्प का इस्तेमाल किया और आप सब माननीय ब्लॉग मित्रों की त्वरित टिप्पणियों से हार्दिक प्रसन्नता हुई। आभार।
उम्र भर जिनसे निभाई मैंने दुश्मनी बार बार
मौत की मंजिल पे सारे मेरे हमदम हो गये
चलो हमकदम तो मिला..
बहुत सुन्दर
मन से अनबन हो गई...
अक्सर ऐसा होता है।
अच्छी पंक्तियां।
सच्चाई को बयां करते आपके अशआर कमाल के हैं...लिखते रहिये...बधाई
नीरज
कड़वा सच बताती रचना.
bahut hi badiya likha hai aapne...
Mere blog par bhi sawaagat hai aapka.....
http://asilentsilence.blogspot.com/
http://bannedarea.blogspot.com/
Music Sunne or Download Karne Ke liye Visit Karein...
Download Direct Hindi Music Songs And Ghazals
उम्र भर जिनसे निभाई मैंने दुश्मनी बार बार
मौत की मंजिल पे सारे मेरे हमदम हो गये
...रिश्तों कि सच्चाई कि बहुत कटु अभिव्यक्ति..बहुत सुन्दर...
आज का नंगा सच…………॥
रूह की बातें पराई, मन से अनबन हो गई
खरीद लो और बेच दो, अब लोग बस तन हो गये
... बहुत सुन्दर ... प्रसंशनीय !!!
Achi rachna..
सच्ची बात हमेशा ही कडवी लगती है.... सुन्दर रचना
regards
उम्र भर जिनसे निभाई मैंने दुश्मनी बार बार
मौत की मंजिल पे सारे मेरे हमदम हो गये
आपने जगजीत साहब की गायी नज्म सुनी होगी सच्ची बात कही थी मैनें, लोगों ने सूली पे चढाया।
झूठ से तुम दिल लगाना, सच नहीं कहना कभी
भावना है सच की झूठी, इसमें न बहना कभी।
सभी पंक्तियाँ एक-एक सच को उजागर करती हुई. आपके ब्लॉग पर पहली बार आई हूँ, बेहद अच्छा लगा आपके पोस्टों को पढकर.
कड़वा सच बताती रचना..अच्छी पंक्तियां।
माननीय कपूर सर सहित सभी आदरणीय ब्लॉगर मित्रों का हार्दिक धन्यवाद आभार।
5.5/10
लेखन में सादगी भी है और मौलिकता भी
अच्छी ग़ज़ल बन गयी है
विशेष : ग़ज़ल के भावों को मुझसे बेहतर कौन समझेगा :))
विसंगतियों को बयां करता हर शेर बेहतरीन है..
सुन्दर ग़ज़ल !!!
रूह की बातें पराई, मन से अनबन हो गई
खरीद लो और बेच दो, अब लोग बस तन हो गये
har sher dil ko chhootaa saa duniyaa kee saccaaI byaan karataa huyaa| badhaaI.
उम्र भर जिनसे निभाई मैंने दुश्मनी बार बार
मौत की मंजिल पे सारे मेरे हमदम हो गये ...
कई बार ऐसा होता है ... अपने पराए और पराए अपने हो जाते हैं ... अच्छे शेर हैं बहुत ...
एक टिप्पणी भेजें