मैंने सच की बात की तो लोग दुश्मन हो गये
बात हक के साथ की तो लोग दुश्मन हो गये
उम्र भर जिनसे निभाई मैंने दुश्मनी बार बार
मौत की मंजिल पे सारे मेरे हमदम हो गये
कभी कभी जिनसे मिला, सबने ही प्यारा कहा
साथ जिनके बरसों से, वो लोग बेमन हो गये
खून के रिश्तों की लज्जत, जाने कब कहां खो गई
अजनबी लोगों से रिश्ते, दिल की उलझन हो गये
रूह की बातें पराई, मन से अनबन हो गई
खरीद लो और बेच दो, अब लोग बस तन हो गये
बात हक के साथ की तो लोग दुश्मन हो गये
उम्र भर जिनसे निभाई मैंने दुश्मनी बार बार
मौत की मंजिल पे सारे मेरे हमदम हो गये
कभी कभी जिनसे मिला, सबने ही प्यारा कहा
साथ जिनके बरसों से, वो लोग बेमन हो गये
खून के रिश्तों की लज्जत, जाने कब कहां खो गई
अजनबी लोगों से रिश्ते, दिल की उलझन हो गये
रूह की बातें पराई, मन से अनबन हो गई
खरीद लो और बेच दो, अब लोग बस तन हो गये