सोमवार, 16 अगस्त 2010

वो शख्स बात-बात पे बिगड़ता हुआ दिखा


वो शख्स बात-बात पे बिगड़ता हुआ दिखा
ख्वाबों में भी नाराज हो चिढ़ता हुआ दिखा

मैं दिल की बात मानकर, परेशान ही रहा
नींदों में भी खुद से ही लड़ता हुआ दिखा

जब रिश्ते बोझ बन गये, तो वक्त को लगा
अपना ही साया, अपने से बिछड़ता हुआ दिखा

समझाया लाख दिल को, मगर मानता नहीं
हर छोटी-मोटी बात पर अड़ता हुआ दिखा

उनसे मिली नजर तो, हम बयान क्या करें
कुछ धारदार सीने में गढ़ता हुआ दिखा

5 टिप्‍पणियां:

vandana gupta ने कहा…

उनसे मिली नजर तो, हम बयान क्या करें
कुछ धारदार सीने में गढ़ता हुआ दिखा

वाह्……………।बडी गहरी बात कह दी………………।उम्दा प्रस्तुति।

kishore ghildiyal ने कहा…

samjhaya lakh dil ko magar maanta nahi bahut khoob

माधव( Madhav) ने कहा…

nice

रानीविशाल ने कहा…

Behad khubsurat Gazal....Badhai.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

समझाया लाख दिल को, मगर मानता नहीं
हर छोटी-मोटी बात पर अड़ता हुआ दिखा ..

उम्दा शेर ... बहुत सुंदर ग़ज़ल है ...

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