कत्ल-चोरियां जिनकी जाहिर नहीं है,
चर्चों में उनकी शराफत रही है।
दया धर्म सेवा के पाखण्डों के पीछे
धन-दौलत-शोहरत की हसरत रही है।
दुनियां कहती - पैसा खुदा तो नहीं
कसम खुदा की, खुदा से कम भी नहीं है।
कानून दुनिया भर के, गरीबों के सर पे
अमीरों पर इलजामों से शोहरत बही है
इश्क रह गया कुत्ते बिल्लियों का मजहब
इंसानों में हवस की ही बरकत रही है।
हिंदू मुसलमान सिख ईसाई मिलते हैं
कहीं भी दिखती इंसानियत नहीं है।
सच की राहों पे चलना बड़ा मुश्किल,
यूं सब जानते हैं क्या गलत क्या सही है।
चर्चों में उनकी शराफत रही है।
दया धर्म सेवा के पाखण्डों के पीछे
धन-दौलत-शोहरत की हसरत रही है।
दुनियां कहती - पैसा खुदा तो नहीं
कसम खुदा की, खुदा से कम भी नहीं है।
कानून दुनिया भर के, गरीबों के सर पे
अमीरों पर इलजामों से शोहरत बही है
इश्क रह गया कुत्ते बिल्लियों का मजहब
इंसानों में हवस की ही बरकत रही है।
हिंदू मुसलमान सिख ईसाई मिलते हैं
कहीं भी दिखती इंसानियत नहीं है।
सच की राहों पे चलना बड़ा मुश्किल,
यूं सब जानते हैं क्या गलत क्या सही है।
3 टिप्पणियां:
सच की राहों पे चलना बड़ा मुश्किल,
यूं सब जानते हैं क्या गलत क्या सही है।
bahut khoob kaha
बहुत बढ़िया!
घुघूती बासूती
हालात पर तगड़ा प्रहार ।
एकदम सॉलिड बात कही है ।
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