मनुष्य से जुड़े किसी भी विषय से संबंधित किसी विशेष समय के रूझान को फैशन कहते हैं। ये रूझान नवीनता की अनुभूति की प्रेरणा से संचालित होते हैं लेकिन पीढ़ियों के अन्तर के कारण पुराने चीजें ही वर्तुल बनाती हुई फैशन में आती-जाती रहती हैं।
फैशन के प्रसिद्ध या प्राथमिक विषय निम्नलिखित हैं:
साजसज्जा और पहनावा - वस्त्र, जेवर, घड़िया, केशविन्यास , सौन्दर्य प्रसाधन सामग्री, जूते-चप्पलें आदि।
विचार - पुरातनवादी, नूतनतावादी, समाजवादी,, पूंजीवादी, फक्कड़तावादी, अहंवादी, पर्यावरण समर्थक, क्रांतिसमर्थक आदि।
जीवन शैली - सामान्य, रफ एंड टफ, कूल, अल्ट्रामार्डन आदि।
इस लिंक पर देखिये फैशन डिजाइनर की कुशलता क्या चीज है।
संगीत और नृत्य: संगीत और नृत्य में फैशन प्रेरित शब्द हैं - क्लासिक, मार्डन और फ्यूजन। इन्हीं से निकला संवर्धित, परिष्कृत या संकर, कोई अन्य प्रकार भी फैशन में हो सकता है।
फैशन के अन्य विषयों में कला, विज्ञान के वे सभी क्षेत्र आतें हैं जिनमें मनुष्य कार्यरत रहता है, जो बहुत तेजी से फैलते हैं और अपनी विशेष वृत्तियों से मनुष्य की संवेदनाओं को संतुष्ट करते हैं।
फैशन के निर्धारक तत्व:
अदृश्य सौन्दर्य मानदण्ड: ये मानदण्ड समाज में व्यक्तियों द्वारा धीरे-धीरे स्थापित किये जाते हैं, कालांतर में इनका अनुकरण अपरिहार्य सा हो जाता है। यही नहीं विशेष समयों में इन मानदण्डों को तोड़ना भी फैशन का ही एक अंग है। जूतों के साथ जुराबें पहनना एक नियमित फैशन है पर बिना जुराबों के जूते पहनने का अंदाज नया है।
परिस्थति विशेष की मांग: जैसे बीच पर बिकनी पहनना सामान्य है पर शहर के चैराहे पर नहीं। रात के समय आप चड्डा पहनकर मोहल्ले में निकल सकते हैं पर 12 बजे इसे अच्छा नहीं माना जायेगा। इसी प्रकार मोहल्ले के आसपास आप घरेलू वस्त्रों में निकल सकते हैं, पर शहर के प्रसिद्ध चैराहे पर आपसे सलीकेदार परिधान की अपेक्षा की जाती है।
संस्कृति: किसी देश की संस्कृति वहां के किसी भी फैशन पर आधारभूत प्रभाव डालती है। गहराई से अन्वेषण करें तो हम पायेंगे कि समय समय पर बदलता हुआ फैशन अपने पीछे जो मूल तत्व छोड़ जाता है वही संस्कृति के अंग बन जाते हैं और भविष्य में खुद को दोहराते हैं।
आर्थिक स्थिति: कोई व्यक्ति फैशन के किस रूप को अंगीकार करता है यह उसकी आर्थिक स्थिति पर निर्भर करता है।
सामाजिक माहौल: किस समय कितनी जनसंख्या किस प्रकार के विचारों को पुष्ट कर रही है, या किस प्रकार के विचारों को अनदेखा कर रही है इससे भी फैशन निर्धारित होता है। जैस वर्तमान में ‘‘प्रकृति मित्र’’ नेचर फ्रेंडली शब्द आज के समाज के प्रकृति के प्रति संरक्षणवादी नजरिये के फलस्वरूप उपजा है।
कुशलता: किसी कार्यक्षेत्र में कुशलता प्राप्त व्यक्ति भी उस क्षेत्र में फैशन के निर्धारक होते हैं। ये कुशल या गुरू व्यक्ति ही किसी फैशन के उच्च मानकों को स्थापित कर उसे परिवर्धित करते हैं और उनके संरक्षण के उपाय करते हैं।
आधुनिक वैज्ञानिक खोजें: कोई भी नई खोज पहले पहल फैशन सी लगती है, आम होने पर जरूरत बन जाती है। उदाहरण के लिए मोबाइल, लेपटाॅप, महंगी घड़ियां, नयी तकनीक के टीवी, कम्प्यूटर आदि।
किसी व्यक्ति की एक विशेष अभिनव जीवन शैली ही बाद में फैशन बन जाती है- साईं बाबा के सिर पर बंधा विशेष तरह का साफा, उनकी नकल करने वाले बाबाओं का फैशन है। माइकल जैक्सन के अनुकरण करने वाले उन्हीं की तरह के कपड़े पहनते हैं। हो सकता है पहले भी कई लोगों ने उस शैली को अपनाया हो पर राजीव गांधी की शाॅल धारण करने की शैली बाद में उन्हीं के नाम हो गई। फैशन कभी तो शौक होता है, कभी मजबूरी। इसका सुविधा असुविधा से बहुत लेना देना नहीं। अब देखिये ना तंग जींस पहनने में बहुत मर्दों को असुविधा होती है पर फैशनपरस्त पहनते हैं। ऊंची हील के सेंडल्स पहनने के साइड इफेक्ट इसे पहनने वाली महिलाओं को इनसे दूर नहीं करते। काजल, लिपिस्टिक, सुर्खी, पावडर, क्रीम, तेल, ब्लीच महिलाओं की लगभग समस्त सौन्दर्य प्रसाधन सामग्री उनके स्वास्थ्य के लिए हितकर है या अहितकर ये विवाद का विषय रहा है, लेकिन ये निर्विवाद है कि हर काल की महिलाओं का ये अभिन्न अंग रहा है।
इस प्रकार संवेदना-उन्मुख जीवन की विशिष्ट शैली यानि फैशन, किसी विशिष्ट व्यक्ति से होता हुआ करोड़ों व्यक्तियों तक या एक बहुत बड़े समूह से किसी व्यक्ति के निज-जीवन की ओर निरन्तर एक प्रवाह की तरह है। इस संसार में रहता हुआ कोई भी मनुष्य इससे अछूता नहीं रहता, अब देखिये ना हो सकता है सलवार कुर्ते पर बुर्का कभी फैशन रहा हो पर अब मल्लिकाएं कुछ उलटी ही हवाएं बहा रही हैं।
1 टिप्पणी:
detailed anylsis
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