जब
आपको बहुत दिनों से लग रहा हो
कि तबियत आजकल ख़राब रहती है
शायद अब मौत आने ही वाली है
और दो तीन दिन
लगातार ऐसा लगे ---
और फ़िर एक दिन पक्का सा लगे
कि आज आखिरी दिन ही है
तो इस आखिरी दिन
आप अपनी जिन्दगी के आखिरी दिन क्या करेंगे?
जनाब
ज्यादा सोचने की जरूरत नही है
क्योंकि आपने जिन्दगी के बारे में
इतने बरसों तक बहुत ज्यादा नही सोचा
और सोचा भी, तो कुछ नही किया
इन आखिरी दिनों में भी
आपने बस कयास ही लगाए
जिन्दगी को कुछ ख़ास नही दिया
कुछ ख़ास नही किया
जनाब
यदि मौत में और आपमें
अभी भी फासला है
तो क्या आपको
आदतों से आजाद नही होना है
आपको मौत के दिन तक भी
क्या अंदाजे ही लगाने हैं?
आदत अच्छी हो या बुरी
आदत है
अच्छे खासे आदमी को
मशीन बना देती है
और क्या आप मशीन बन कर मरना पसंद करेंगे?
बुधवार, 26 नवंबर 2008
मंगलवार, 25 नवंबर 2008
मतदान करना?, नही करना?
मत दान करो
अपना बहुमूल्य मत
कम बुरे आदमी को
आपके मत का मतलब है
कि
उसके हर अच्छे बुरे फैसले में
उसके साथ हैं आप
आने वाले पाँच साल तक
और बुरा आदमी
अगले पाँच सालों में
हजारों गुना बुरा हो सकता है
एक नई आबादी बनाओ
जो हट के है
नेता और जनता
अमीर गरीब
के बँटवारे से
एक ऐसी आबादी
जो रोटी और परमाणु बोम्ब में
प्राथमिकता तय कर सके
कि
क्या उगाना है
एक ऐसी आबादी
जिसमे नेता चुनने के लिए
पाँच साल का इंतज़ार नही करना पड़ता
हर काम के अंजाम के बाद
नेता रहता है या नही रहता ....तय करना आसान हो
एक ऐसी आबादी
जिसमे
हर आदमी को पता हो
कि किसकी जायज भूख को
पूरा होना है कब
अपना बहुमूल्य मत
कम बुरे आदमी को
आपके मत का मतलब है
कि
उसके हर अच्छे बुरे फैसले में
उसके साथ हैं आप
आने वाले पाँच साल तक
और बुरा आदमी
अगले पाँच सालों में
हजारों गुना बुरा हो सकता है
एक नई आबादी बनाओ
जो हट के है
नेता और जनता
अमीर गरीब
के बँटवारे से
एक ऐसी आबादी
जो रोटी और परमाणु बोम्ब में
प्राथमिकता तय कर सके
कि
क्या उगाना है
एक ऐसी आबादी
जिसमे नेता चुनने के लिए
पाँच साल का इंतज़ार नही करना पड़ता
हर काम के अंजाम के बाद
नेता रहता है या नही रहता ....तय करना आसान हो
एक ऐसी आबादी
जिसमे
हर आदमी को पता हो
कि किसकी जायज भूख को
पूरा होना है कब
एक ऐसी आबादी
जिसमे आदमी को "आबादी " न कहा जाए
शुक्रवार, 14 नवंबर 2008
कि हम जिन्दा है.....
घर ही नहीं
रोज़ झाडू पोंछा लगाना चाहिए
अक्ल के तहखानों में
जरा मुश्किल है
क्यों कि हर दिन
हम बे खबर होते हैं
रात आती है aन्धेरा होता है
और
रोज़ बन जाते है
नए तहखाने
रोज़ ८ - १० घंटे घर के बाहर भी बिताना जरूरी है
कि हमें खबर रहे
अब हम पत्थर के जन्म को
पार कर आये हैं
और चल फिर सकतें हैं
चाँद तक
हर घडी याद रहना चाहिए
कि हम जिन्दा है
आदमी हैं
और होश रखते है
और खुदा आकाश में ही नहीं
हमारी जड़ों में भी है
रोज़ झाडू पोंछा लगाना चाहिए
अक्ल के तहखानों में
जरा मुश्किल है
क्यों कि हर दिन
हम बे खबर होते हैं
रात आती है aन्धेरा होता है
और
रोज़ बन जाते है
नए तहखाने
रोज़ ८ - १० घंटे घर के बाहर भी बिताना जरूरी है
कि हमें खबर रहे
अब हम पत्थर के जन्म को
पार कर आये हैं
और चल फिर सकतें हैं
चाँद तक
हर घडी याद रहना चाहिए
कि हम जिन्दा है
आदमी हैं
और होश रखते है
और खुदा आकाश में ही नहीं
हमारी जड़ों में भी है
सदस्यता लें
संदेश (Atom)